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निजी स्कूलों की मनमानी लूट व फीस वृद्धि पर रोक लगाने व गैर कानूनी फीस वसूलने के विरोध में छात्र अभिभावक मंच का शिमला में प्रदर्शन

एप्पल न्यूज़, शिमला

छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की भारी फीसों,मनमानी लूट व फीस वृद्धि पर रोक लगाने तथा गैर कानूनी फीस वसूलने का विरोध करने वाले अभिभावकों की स्कूल प्रबंधनों द्वारा मानसिक प्रताड़ना के खिलाफ उच्चतर शिक्षा निदेशालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिला व उन्हें सात सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा।

निदेशक शिक्षा ने निजी स्कूलों की लूट व मनमानी पर रोक लगाने के लिए तुरन्त अधिसूचना जारी करने का आश्वासन दिया। मंच ने चेताया है कि अगर निजी स्कूलों की मनमानी लूट,सरस्वती पैराडाइज़ स्कूल व दयानंद पब्लिक स्कूल की तानाशाही पर रोक न लगी तो आंदोलन तेज होगा। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,विवेक कश्यप,बालक राम,वोनोद बिरसांटा,रामप्रकाश,प्रताप,सपना,प्रीति,सोनी,रेशमा,रानी,निक्की मेहता,भावना,बसन्त सिंह,लायक राम,बिरजू कुमार व जितेंद्र कुमार आदि शामिल रहे।

मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा व मंच की सरस्वती पैराडाइज़ इंटरनेशनल स्कूल इकाई के संयोजक विवेक कश्यप ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं। कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम,मिसलेनियस,केयरज़,स्पोर्ट्स,मेंटेनेंस,इंफ्रास्ट्रक्चर,बिल्डिंग फंड,ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जेज़ वसूल रहे हैं। निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2021 में कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है। जो अभिभावक कोरोना काल में रोज़गार छिनने पर फीस नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें प्रताड़ित करने के लिए हर दिन उनसे सौ रुपये लेट फीस वसूलने, बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं व स्कूल से निकालने की धमकियां दी जा रही हैं।

उन्होंने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है। कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया। अब जबकि महीनों पहले अभिभावकों ने दर्जनों सुझाव दिए हैं तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है। इस मानसून सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था परन्तु सरकारी की संवेदनहीनता के कारण कानून नहीं बन पाया।

सरकार की नाकामी के कारण ही बिना एक दिन भी स्कूल गए बच्चों की फीस में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। स्कूल न चलने से स्कूलों का बिजली,पानी,स्पोर्ट्स,कम्प्यूटर,स्मार्ट क्लास रूम,मेंटेनेंस,सफाई आदि का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तो फिर ये निजी स्कूल किस बात की पन्द्रह से पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी कर रहे हैं और इस बढ़ोतरी पर सरकार मौन है। उन्होंने कहा है कि फीस वसूली के मामले पर वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं।

निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी। उन्होंने प्रदेश सरकार से एक बार पुनः मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस,पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे।

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