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लाहुल स्पिति के बातल में फंसे 59 पर्यटकों का रेस्क्यू पूरा, अपने गंतव्य को भेजा, युवाओं और महिलाओं ने निभाई सराहनीय भूमिका- महेंद्र प्रताप सिंह

  • लोसर और पांग्मो के युवाओं ने रेस्क्यू में निभाई अहम भूमिका
    -लोसर और चिचोंग महिला मंडल ने की खाने पीने की व्यवस्था

एप्पल न्यूज़, काज़ा

लाहुल स्पिति के बातल में रूके 59 लोगों को रेस्क्यू करने सफल आपरेशन सम्पन्न हो गया है। शनिवार को रेस्कूय किए गए सभी लोगों को अपने अपने गंतव्य के लिए काजा से प्रशासन ने रेस्क्यू कर दिया है।

एसडीएम महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि रेस्क्यू टीम में स्थानीय युवकों का सबसे बड़ा योगदान है। अगर वो टीम में न होते तो रेस्क्यू कार्य को सफल बनाने में काफी मुश्किलें आती । महिला मंडल ने हमें काफी सहयोग दिया । जिलाधीश नीरज कुमार के दिशा निर्देशों के रेस्क्यू सफल हुआ है। आज सभी रेस्क्यू लोगों को अपने अपने गंतव्य के लिए काजा से भेज दिया है।

ऐसे मिली लोगों के लापता होने ही सूचना
असल में 20 अक्टूबर रात को एक सूचना मिली कि शीला घोष सहित 17 पर्यटक मनाली से काजा वाया चंद्रताल टूअर पर आए है।पिछले तीन दिनों से इनका परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा था।

इसके बाद जब प्रशासन ने उक्त पर्यटक दल के बारे में पता लगाया तो कोकसर से चंद्रताल की ओर इनके दल की एंट्री हुई थी। लेकिन काजा में इस दल का प्रवेश नहीं हुआ था। इसके बाद प्रशासन ने रेस्क्यू टीम गठित करके बातल की रेकी करने का फैसला लिया।


रेस्क्यू टीम में ये रहे शामिल
लाहुल स्पिति प्रशासन ने एसडीएम काजा महेंद्र प्रताप सिंह की अगुवाई में रेस्क्यू टीम का गठन किया । इसमें डीएसपी रोहित मृगपुरी, नायब तहसीलदार विद्या सिंह नेगी, एसएचओ गोपाल नेगी सहित लोसर गांव के 13 युवक जिनमें छेरिंग तंडुप,तेंजिन चोपल आंनद, टाकपा बांगडन, तेजिंन डोलटन, तेजिंन खुचोंक, तेंजिन मिनग्यूर, सोनम तोपगे,सोनम टंडन, तेजिंन रापटन, कालजंग, कुंगा छेरिंग, तेंजिन छुलडिम, और दोरजे दावा शामिल थे।

इसके अलावा पाग्मो गांव से 9 युवक शामिल थे जिसमें लोबजंग ग्यालसन, तेजिन नामका, सोनम दोरजे, नंबाग फुचोंग, रिंचेन तंडुप, तंडुप कालजंग, सुशील कुमार और टाकपा दावा शामिल रहे। वहीं पुलिस कान्स्टेवल सुभाष, हेड कांस्टेवल करतार, कान्स्टेवल विवक, कान्स्टेवल प्रवीण, कान्स्टेवल अश्वनी, कान्स्टेवल दिनेश और कृष्ण भी शामिल रहे।

21 अक्टूबर को रेकी करने बातल भेजी टीम
प्रशासन ने 21 अक्टूबर सुबह रेस्क्ूय कार्य शुरू किया। लोसर से बातल तक मार्ग बर्फबारी के कारण जगह जगह से बाधित था। कुंजुम टॉप से करीब चार किलोमीटर आगे तक ही टीम की गाड़ियां पहुंच पाई।

इसके बाद लोसर और पांग्मो गांव के युवकों की 12 सदस्यीय टीम रेकी करने के लिए दोपहर 1ः10 बजे बातल के लिए रवाना की। इनके पास एक सेटालाईट फोन भी दिया गया । ताकि बातल में रूके लोगों के बारे में तुरंत सूचना प्रशासन को मिल सके। पौने दो घंटे में टीम बातल पहुंच गई । इन्हें देखते ही पर्यटक काफी खुश हो गए।3 बजे बातल में पहुंचे स्थानीय युवको की टीम ने प्रशासन को सूचना दी कि यहां पर 59 पर्यटक रूके हुए है।

इसके साथ जिन 17 पर्यटकों को प्रशासन ढूंढ रहा था वो भी इनमें शामिल है। इनके खाने पीने रहने की व्यवस्था चाचा चाची के ढाबे में है। टीम के सदस्यों ने पर्यटकों को आश्वसन दिलवाया कि आज काफी समय हो गया है रेस्क्यू कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता है।

22 अक्टूबर सुबह सभी को रेस्क्यू कर लिया जाएगा। टीम ने रेस्क्ूय आपरेशन के बारे में जानकारी दे कि अपने साथ केबल जरूरत सामान ही लें। बाकि कपड़े आदि के बैग को रहने दें।

स्नो शूज और गर्म कपड़े भी नहीं थे
करीब 23 पर्यटकों के पास स्नो शूज और गर्म कपड़े भी नहीं थे। कुछ पर्यटक चपलो में ही थे। रेस्क्यू टीम ने प्रशासन को इसके बारे में सूचना दी । फिर प्रशासन ने स्नो शूज, गर्म कपड़ों की व्यवस्था 21 अक्टूबर की रात को ही काजा में कर ली और रात को ये सारा सामान लोसर पहुंचा दिया।


22 अक्टूबर को शुरू रेस्क्यू करने पहुंची टीम
22 अक्टूबर को सुबह सात बजे लोसर के 11 युवको की टीम लोसर से स्नो शूज,गर्म कपड़े, चलने के लिए पर्यटकों को डंडे आदि की लेकर बातल के लिए रवाना हो गए। इनके पास एक सेटालाइट फोन दिया गया।

बातल पहुंचे रेस्क्यू टीम के युवकों 21 पर्यटकों की टीम रवाना कर दी। इस टीम को गाड़ियों तक पहुंचने लिए करीब साढ़े चार किलोमीटर पैदल बर्फ में सफर करना पड़ा । दूसरा पर्यटकों का दल बातल से साढ़े 11 बजे रवाना किया। इस दल में 15 सदस्य थे। जबकि 12 बजे पर्यटकों का अंतिम 23 सदस्य दल रवाना किया ।

इसमें वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं शामिल थी। पर्यटकों के हर दल में लोसर गांव के युवक लीड कर रहे थे। वहीं पाग्मो गांव के युवक भी चंद्रताल गेट से इन दलों को गाड़ियों तक ला रहे थे। आर्मी, पुलिस, स्थानीय प्रशासन, लोसर और पांग्मो गांव के युवकों की गाड़ियों में काजा के लिए दोपहर सवा चार बजे रेस्क्यू किए पर्यटकों को रवाना किया। अंतिम गाड़ी साढ़े पांच बजे रवाना हुई।
महिला मंडल चिचोंग और लोसर ने की खाने पीने की व्यवस्था
चिचोंग महिला मंडल ने रेस्क्यू किए लोगों और टीम के सदस्यों को टाकचा में पहुंच कर चाय की व्यस्था की हुई थी। अपने गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर से यह महिला मंडल लोगों की मदद करने के लिए आया हुआ था। इसके बाद लोसर गांव में महिला मंडल ने सभी लोगों के लिए रात्रि भोज की व्यवस्था की थी ।दोनों महिला मंडल ने कहा कि हमे खुशी है कि हम पर्यटकों और प्रशासन की मदद कर पा रहे है। ऐसे कार्य भविष्य में करते रहेंगे।

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