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मानव भारती यूनिवर्सिटी के डिग्री फर्जीवाड़े में किसको बचाना और किसके लिए मामला दबाना चाह रही है सरकार : राणा

मानव भारती यूनिवर्सिटी के डिग्री फर्जीवाड़े पर सदन के भीतर व बाहर सरकार की राणा ने उधेड़ी बखियां

राणा के आरोपों की तपिश ने पूर्व सत्ताधीशों व वर्तमान सरकार को तपाया

एप्पल न्यूज़, शिमला

मानव भारती यूनिवर्सिटी सोलन में फर्जी डिग्रियों की बिक्री को लेकर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने विधानसभा सदन के अंदर व बाहर सरकार की खूब बखियां उधेड़ी। राणा ने कहा कि 6 लाख फर्जी डिग्रियां बेचने वाली इस यूनिवर्सिटी में 2 हजार करोड़ रुपए का स्कैम हुआ है।

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उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का संचालक जो कि 10 पढ़ा हुआ आदमी है। इस यूनिवर्सिटी को चलाने की कोई भी योग्यता व मानदंड पूरे नहीं करता था, लेकिन 2008 में जब बीजेपी की सरकार प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट लेकर आई तब इस व्यक्ति की जमीन संबंधी औपचारिकताओं को नजदअंदाज करके सरकार ने इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत ही फर्जीवाड़े से शुरू करवाई है। क्योंकि तब सरकार के अपने नियम के अनुसार 50 बीघा जमीन प्राइवेट यूनिवर्सिटी खोलने के लिए जरूरी थी, लेकिन इस व्यक्ति को मिलीभगत के कारण 30 बीघा जमीन पर ही सरकार ने विधानसभा में यूनिवर्सिटी की अप्रूव्ल दे दी।

राणा ने कहा कि उनका सीधा आरोप है कि अप्रूव्ल देती दफा भी इस मामले में भारी लेनदेन हुआ है, जो कि जांच का विषय है। इस फर्जीवाड़े की डिग्रियां नेशनल और इंटरनेशनल लेवल तक बेची गई हैं। जांच के खौफ से यूनिवर्सिटी के संचालक ने अपना परिवार व पैसा विदेशों में ट्रांसफर करवा दिया है। ऐसे में यह मामला ईडी की जांच का बनता है।

राणा ने कहा कि वह अभी भी इस सवाल पर कायम हैं कि आखिर वह कौन से कारण हैं कि सरकार इतने बड़े स्कैम की जांच ईडी और सीबीआई को सौंपने से गुरेज कर रही है। वह कौन से लोग हैं, जिनको सरकार बचाना चाहती है और वह कौन लोग हैं जिनके लिए सरकार इस मामले को दबाना चाहती है।

सदन से निकलकर मीडिया से मुखातिब होते हुए राणा ने कहा कि फर्जी डिग्री मामले में चली जांच के दौरान इस यूनिवर्सिटी के खातों से करोड़ों रुपया निकाला गया। वह पैसा किन-किन सरकारी हाकिमों की जेब में पहुंचा, यह भी जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के नाम पर हुए इस अवैध कारोबार में सरकार किन-किन अधिकारियों व किन-किन मिडलमैनों को बचाना चाहती है, यह भी सरकार को सपष्ट करना होगा और मामले को ईडी और सीबीआई को देने में मजबूरी क्या है यह भी सरकार को ही बताना होगा।

सदन में चली गहमागहमी के बाद विधानसभा से बाहर मीडिया से मुखातिब होते हुए राणा ने इस फर्जीवाड़े को लेकर कुछ ऐसे सवाल उठाए हैं, जिनके छींटे पूर्व सत्ताधीशों के दामन से होते हुए, वर्तमान सरकार के दामन को भी दागदार कर रहे हैं। आखिर, इस मामले का असली माजरा क्या है और उसका कसूरवार कौन है। राणा के आरोप पूर्व सत्ता शिखरों को भी लपेटे में लेते नजर आ रहे हैं।

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