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निरमण्ड में ‘बिरशू’ गीत पर दो दिवसीय कार्यशाला में मंथन, पारंपरिक गीतों के संरक्षण आवश्यक

पहाड़ी परंपरा को संजोए रखने में महिलाओं का सहयोग अतुल्य :- देवराज कश्यप
हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराएं ही हमारी पहचान :- मास्टर भूपेश

 एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी

भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला कुल्लू के सौजन्य से बिरशू गीत पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पंचायत समिति हॉल निरमंड के सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ नगर पंचायत निरमंड के उपाध्यक्ष विकास शर्मा द्वारा किया गया। रिसोर्स पर्सन के रूप में दीपक शर्मा और पूर्ण चंद्रा उपस्थित रहे।

पहले दिन बिरशू गीत के इतिहास और गायन पर प्रकाश डाला गया और सभी प्रतिभागियों द्वारा बिरशू गीत का अभ्यास किया।

रिसोर्स पर्सन दीपक शर्मा ने निरमंड क्षेत्र के प्राचीन पारंपरिक बिरशू गीतों के बारे में सभी प्रतिभागियों को बताया। उपाध्यक्ष विकास शर्मा ने कहा कि आज हमारे क्षेत्र के प्राचीन पारंपरिक गीत हमारे बुजुर्गों तक ही सीमित रह गए हैं।

इन गीतों के संरक्षण के लिए युवा कलाकारों को भी आगे आना चाहिए ताकि एक लंबे समय तक प्राचीन परंपराओं और इतिहास को जीवंत रखा जा सके।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर विशेष अतिथि के रुप में सेवानिवृत्त (सहायक अभियंता) देवराज कश्यप , नेहरू युवा मंडल धाराबाग के पदाधिकारियों में राजकुमार , संजीव कुमार, सुरेश कुमार और बुध राम ने शिरकत की।

देवराज कश्यप ने कहा कि आज हमारी प्राचीन परंपरा को संजोए रखने में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज हमारी संस्कृति से जुड़े पारंपरिक गीत बहुत कम सुनने को मिलते हैं और भाषा विभाग जिला कुल्लू का इस दिशा में कार्य करना सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि आज हम देश के किसी भी कोने में जाएं तो हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान को दर्शाती है। आज हमारे क्षेत्र में पारंपरिक गीत को विशेष आयोजनों और त्योहारों के उपलक्ष पर गाते हैं और इस तरह की कार्यशाला आयोजित करके युवा पीढ़ी को शिक्षित करना सराहनीय कार्य है।कार्यक्रम के आयोजक मुकेश मेहरा ने बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला कुल्लू द्वारा निरमंड जनपद में प्रचलित पारंपारिक बिरशू गीत पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें निरमंड की महिलाओं द्वारा बिरशू गीत के गायन का अभ्यास किया गया।

वैशाख संक्रांति से निरशू मेले तक सतलुज घाटी में बिरशू गीत गाए जाते हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य हमारी प्राचीन संस्कृति और प्राचीन गीतों के संरक्षण संवर्धन की दिशा में पहल करना है ताकि हमारी प्राचीन संस्कृति बची रहे।

इस कार्यक्रम में सुलोचना शर्मा, किष्किंधा शर्मा , कुसमा शर्मा , चंद्रप्रभा शर्मा , लक्ष्मी शर्मा , सुलोचना शर्मा , जयवंती शर्मा , उपनिशा शर्मा , हेम शर्मा , निश्मा शर्मा , साधना शर्मा , उपासना शर्मा , प्रमिला शर्मा , सुजाता शर्मा , सुनीता शर्मा , लोकेश्वरी शर्मा , अमरतीश शर्मा , गंधारी शर्मा , रजनी शर्मा , कल्पना शर्मा , रमा शर्मा , दमयंती शर्मा व अन्य मौजूद रहे।

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