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हिंदी पत्रिका ‘सेतु’ का रंगमंच विशेषांक पाठकों के मध्य

एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश क्रिएटिव राइटर्स फोरम की ओर से प्रकाशित पत्रिका हिंदी का 23 वां अंक पाठकों की मध्य बहुत प्रतीक्षा के बाद आ गया है और यह किताबघर गेयटी थिएटर में पाठकों की उपलब्धता के लिए रख दिया गया है।

पत्रिका के संपादक डॉक्टर देवेन्द्र गुप्ता, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी व क्रिएटिव राइटर्स फोरम के अध्यक्ष ने प्रेस स्टेटमेंट में बताया कि सामान्य अंकों से अलग यह सेतु की रंगमंच विषयक दूसरी विशेष प्रस्तुति है।

रंगमंच विशेषांक में हिमाचल प्रदेश में नागर रंग कर्म पर कुछ विशेष निर्देशको जैसे प्रवीण चांदला,जवाहर कॉल, केदार ठाकुर, संजीव अरोड़ा, राम पाल मलिक, धीरेन्द्र सिंह रावत, केहर सिंह ठाकुर और उभरती रंग प्रतिभाओ व अभिनेताओं आर्यन चौहान, लोकेश लकी नीरज ठाकुर, कुशल चौहान अदिति काल्टा ,श्वेता चंदेल जतिन दीक्षित तथा प्रदेश की रंग मंडलियों और गतिविधियों को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है।

डॉक्टर देवेन्द्र गुप्ता ने बताया की कहानी रंगमंच के पुरोधा डॉक्टर देवेंद्र राज़ अंकुर और रंगमंच समीक्षक महेश आनंद, जयदेव तनेजा और रंगकर्मी बलवंत गार्गी आदि के आलेख रंग कर्म की सबसे पुरानी और तीखी बहस रंग निर्देशक और नाटककार के पारस्परिक संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

प्रख्यात नाटककार एवं निर्देशक सुशील कुमार सिंह ने ‘वर्तमान रंगमंच ट्रेंड्स क्या है?’ के माध्यम से रंगमंच की नवीनतम जानकारी प्रदान की है।

आलोक विन्यास अर्थात लाइट्स पर आधारित जी. एन. दास का आलेख रंगशाला के लिए प्रकाश व्यवस्था विन्यास और नेपथ्य में कार्य करने वाले रंगकर्मियों को इस विशिष्ट तकनीक को समझने में सहायक सिद्ध होगा।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित सुरेश शर्मा व उनकी धर्मपत्नी ने मंडी के सतोहल नामक स्थान पर नाट्यविद्यालय की स्थापना कर के हिमाचल में पहला व्यवस्थित रंग आंदोलन खड़ा किया है।

कुशल अभिनेत्री सीमा शर्मा ने रंग मण्डल सतोहल मंडी नामक लेख के माध्यम स विद्यालय की रंगमंचीय व शैक्षणिक गतिविधियों का परिचयात्मक ब्योरा दिया है।

इप्टा यानी इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन ने रंग आंदोलन और समाजिक बदलाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस पर आधारित आलेख जिज्ञासु शोधार्थियों व रंगकर्मियों के लिए अत्यंत जरूरी जान पड़ता है। सभी साहित्य के जानकार जानते हैं कि पाश्चात्य रंग चिंतक बर्टोल्ट ब्रेख्त नाट्य कला का पर्याय है, पर उन्होंने कविताएं भी रची थी।

कथाकार एसआर हरनोट ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं समीक्षक स्वर्गीय श्रीनिवास श्रीकांत द्वारा ब्रेख्त की कविताओं का अनुवाद उपलब्ध कराने में मदद की। इस दृष्टि से यह कविता अनुवाद सेतु 23 की उपलब्धि मानी जाएगी ।

एसआर हरनोट का रंगमंच विषयक आलेख गेयटी थिएटर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है। इस अंक की सबसे बड़ी विशेषता हिमाचल के प्रमुख रंग हस्ताक्षरों के साथ साथ उभरती रंग प्रतिभाओ को भी स्थान दिया गया है।

संपादक एवं रंगकर्मी डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता ने बताया की इस अंक के संपादन और प्रकाशन के दौरान शिमला रंगमंच के जाने माने रंग निर्देशक देवेन्द्र जोशी नहीं रहे।

उन्होंने हिंदी नाटकों की बेजोड़ प्रस्तुतियां प्रख्यात गेयटी थिएटर में दी और हिंदी रंगमंच की परंपरा में कई अभिनेताओं निर्देशकों आदि रंगकर्मियों की फौज खड़ी की जो आज भी हिमाचल में हिंदी रंग कर्म में सक्रिय सहयोग दे रहे हैं।

मंच के लिए उनके अवदान पर उनके रंग शिष्य रवि कौशल का संस्मरण लेख भी पाठकों को अभिभूत करेगा वस्तुत रंगमंच का यह विशेषांक देवेन्द्र जोशी के साथ साथ ‘रंगमंच के तुगलक’ मनोहर सिंह को भी विनम्र श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया गया है।

संपादक देवेंद्र गुप्ता ने आशा व्यक्त की कि इस अंक के आने से रंगकर्मियों की अगली पीढ़ी और रंगचर्या सी जुड़ी रंग चुनौतियों का सामना व मुकाबला सक्रियता से करने में सक्षम होगी।

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