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दुःखद- शिमला में स्क्रब टायफस से एक व्यक्ति की मौत, 56 मामले पॉजिटिव – हिमाचल में इस साल स्क्रब टायफस से पहली मौत

एप्पल न्यूज़, शिमला

हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस जानलेवा हो गया है हिमाचल की इस साल पहली मौत होने का मामला सामने आया है सोलन के 55 साल के व्यक्ति की स्क्रब टायफस से मौत हो गई है।

व्यक्ति आईजीएमसी के आइसोलेशन वार्ड में दाखिल था बुधवार देर शाम व्यक्ति की मौत हो गई है हिमाचल में स्क्रब टायफस का इस साल में पहली मौत है आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ राहुल गुप्ता ने व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है।


हिमाचल में जहां अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है। वहीं इसी बीच स्क्रब टायफस सक्रिय हो गया है। इस साल स्क्रब के अभी तक 600 मरीजों के टैस्ट किए गए हैं, जिसमें से 56 मामले पॉजिटिव आ चुके है।

ध्यान रहे कि अब सीजन शुरू हो गया है अब लगातार स्क्रब टायफस के मामले आने शुरू हो गए हैं। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी होगी।

स्क्रब टायफस को लोग विल्कुल भी हल्के में ना लें। अगर लापवाही बरती तो आपकी जान पर भारी पड़ सकता है। हर वर्ष स्क्रब टायफस लोगों को अपना ग्रास बनाता है।

आपको इसके लक्षण दिखाई देते हंै, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाए। चिकित्सक द्वारा कोरोना के साथ-साथ अब सक्रब टायफस के टैस्ट किए जा रहे हैं। हर साल मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अर्लट रहता है।

पहले ही विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है। चिकित्सक ने लोगों को निर्देश दिए है कि अगर कोई लोग घास काटता है तो वे चिकित्सक को बताएं। ताकि चिकित्सक समय से उसका इलाज कर सके। बरसात के दिनों में स्क्रब टायफस के अधिक मामले आते है।

विभाग का दावा है कि स्क्रब टायफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है।

स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है।

चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडियों से दूर रहे और घास आदि के बीच न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है।

यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है।
स्क्रब टायफस के कम हो रहे टैस्ट
वैसे कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टायफस के कम टैस्ट हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि जिस लैब में कोरोना के टैस्ट होते है, उसी लैब में स्क्रब टायफस के टैस्ट होते है।

यहां पर कोरोना के टैस्ट भी कई बार पेंडिंग में रहते है। ऐसे में स्क्रब टायफस के टैस्ट करवाने के लिए लैब में कम समय बचा होता है।

चिकित्सक भी जरूरत के हिसाब से ही स्क्रब के टैस्ट करवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। इस बार तो अब कोरोना की सैंपलिंग भी कम हो रही है। ऐसे में स्क्रब टायफस के ज्यादा से ज्यादा टैस्ट होने चाहिए।
स्क्रब टायफस के लक्षण
स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है।
स्क्रब टायफस से बचने के उपाय
लोग सफाई का विशेष ध्यान रखे। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है।

स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।

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