ये वो विपक्ष है जब मंत्री आपदा राहत में जुटे थे तो मॉनसून सत्र की मांग कर रहे थे और जब सत्र बुलाया तो राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए वाकआउट कर रहे हैं, जनता सब देख रही है- सुक्खू
एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के शुरुआत में ही विपक्षी भाजपा सदन छोड़कर बाहर भाग गई। न कोसी विषय कप उठाया न किसी विषय पर चर्चा की।
हुआ यूं कि परदेश में आई आपदा को लेकर लगातार विपक्षी भाजपा नेता सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए सरकार ने मानसून सत्र बुलाया।
आज दोपहर 2 बजे सत्र शुरू हुआ तो नियमानुसार सर्वप्रथम आनी से पूर्व विधायक खूब राम के निधन पर शोकोदगार रखा गया। जैसे हो अगला विषय लाना था विपक्ष की ओर से नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने नियम 67 के तहत प्रदेश में आई आपदा और स्थगन प्रस्ताव लाया जबकि नियम 102 के तहत पहले से ही प्रश्नकाल के बाद चर्चा रखी गई थी।
ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने रूल बुक से पढ़ने के बाद समान विषय बताकर नियम 67 के तहत लाये प्रस्ताव को रद्द कर दिया और कहा कि नियम 102 में चर्चा की जा रही है इसे भी साथ मे चर्चा के लिए मर्ज किए जाए।
लेकिन विपक्ष कहाँ मानने वाला था। वो अड़ गए और सदन में हंगामा खड़ा कर दिया। नारेबाजी करने लगे।
इस पर उद्योग मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जबकि सरकार खुद इस विषय को गंभीरता से लेते हुए खुद चर्चा कारण चाहती है और प्रस्ताव पहले से तैयार है तो फिर विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंकने और अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए जबरन नियम 67 की चर्चा पर अड़ा है। इस पर विपक्ष और जोर से हो हल्ला करने लगा।
इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने विपक्ष ओर तीखा हमला करते हुए कहा कि आपको विधानसभा के नियमों के तहत सुनना होगा, या फिर आप खुद ही फैसला करना चाहते हैं। साथ ही पूरा बिज़नेस साइड कर सीधा 102 के तहत चर्चा के लिए मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया।
जैसे ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 102 पर प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया तो विपक्षी भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर गए।
इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जिस विपक्ष को सरकार का साथ देना चाहिए था वह इस आपदा में भी राजनीति कर सदन से वाकआउट कर रहा है। केवल अखबरों में कैसे सुर्खियां बटोरनी है, उसमें जुटे हैं।
सुक्खू ने कहा कि ये वो दौर था जैसा बीते 50 वर्षों में कभी नहीं हुआ। हजारों प्रभावित हुए। पर्यटक फंसे और सैकड़ों भवन जमीदोज हो गए। कई लोगों की जानें गई। सरकार के मंत्री फील्ड में उतरकर राहत और बचाव कार्य मे जुटे थे।
लोगों ने अपनी जमा पूंजी आपदा राहत कोष में जमा कर प्रभावितों की मदद की लेकिन विपक्षी अलग राजनीति में लगे हैं और सहयोग के बजाय आरोप प्रत्यारोप में लगे रहे हैं।
सरकार के सभी मंत्री विधेयकों ने एक माह का वेतन राहत कोष में जमा किया लेकिन भाजपा के एक भी विधायक ने एक रुपया भी दान नहीं किया।
उन्होंने प्रदेश में आइए इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सदन में पेश किया। इसी बीच करीब 20 मिनट बाहर रहने के बाद विपक्षी विधायक वापस सदन में लौट आये।
जिसके बाद नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने फिर से नियम 102 के तहत जारी चर्चा को फिर से नियम 67 के तहत चर्चा में शामिल करने का आग्रह किया।