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बुरांश का फूल- “पिंक डोडोडेंड्रन” है हिमाचल का राज्य फूल

एप्पल न्यूज़, शिमला

दुनिया भर में पता नहीं कितने प्रकार की जड़ी-बूटियां हैं जिसके बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं है। संसार में जब एलोपैथिक चिकित्सका का प्रचलन भी नहीं था, उससे पहले से आयुर्वेद उपायों द्वारा लोगों की बीमारी को ठीक किया जा रहा है।

भारत की जंगलों या पहाड़ियों पर भी अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां हैं जिनसे लोगों के रोगों का उपचार किया जाता है। सदियों से आयुर्वेदाचार्यों द्वारा इन जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी ही एक बहुउपयोगी जड़ी-बूटी बुरांश है।

बुरांश का इस्तेमाल भी बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। वास्तव में बुरांश एक ऐसा पौधा है जो गुणों से भरपूर है और आप बुरांश का उपयोग कई बीमारियों में कर सकते हैं।
आयुर्वेद में बुरांश के बारे में कई अच्छी बातें बताई गई हैं।

बुरांश क्या है?

बुरांश एक लाल रंग का फूल है जब गर्मी का मौसम आता है तो बुरांश के वृक्ष में फूल आते हैं।

इसके फूलों का इस्तेमाल दवाओं के रूप में किया जाता है। हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में इसके फूलों का प्रयोग शर्बत बनाने के लिए भी किया जाता है। बुरांस के फूल से बनी शर्बत ठंडक और ताजगी प्रदान करती है।

इसकी दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

(वरांश)

यह लगभग 10 मीटर ऊंचा वृक्ष होता है जो छोटा हमेशा सदाहरित रहता है। इसके पत्ते शाखाओं के अंत पर गुच्छों में लगे हुए होते हैं। यह 5-15 सेमी लम्बे, चमड़ के रंग के, भालाकार होते हैंं। इसके फूल मखमली और लाल रंग के होते हैं।

(मदगन्धा वरांश)

यह लगभग 1-4.5 मी ऊंचा और झाड़ीदार वृक्ष (buransh tree) होता है। यह भी हमेशा सदाहरित रहता है। यह हिमालय तथा कश्मीर के उच्च पर्वतीय शिखरों में पाया जाता है।

इसके पत्ते चमकीले, चिकने होते हैं। इसके फूल सफेद और गुलाबी वर्ण के होते हैं। इसकी फूल की कलियां पशुओं के लिए जहरीली होती हैं।

अन्य भाषाओं में बुरांश के नाम

आमतौर पर बुरांश को भारत में बुरांश के नाम से ही जानते हैं लेकिन इसके अलावा और भी नाम हैं जिसे देश या विदेशों में बुरांश को जाना जाता है।

बुरांश का वानस्पतिक नाम वानस्पतिक नाम रोडोडैन्ड्रोन अरबोरियम इरीकेसी (Ericaceae) है और इसके अन्य नाम ये हैंः-

Buransh in-

Hindi – बुरांश; कन्नड़-बिली (Billi)
English – रोज ट्री (Ros- tree), ट्री रोडोडैन्ड्रोन (Tree rhododendron)
Sanskrit – वरांश, हिम वरांश
Kashmir – कामरी (Kamri), छन्न (Chhan), छिहु (Chiu)
Tamil – एलिंगी वेल्लामरम (Alingi vellimaram)
Punjabi – अरदावल (Ardawal), मण्डल (Mandal), छिउ (Chiu), अरू (Aru)
Bengali- बरास (Baras)
Nepali – भोरांश (Bhorans), गुरांश (Guras), लाली गुरांश (Lali gurans)
Meghalaya – तिन–शॉ (Tin- saw)

बुरांश के फायदे

अब तक आपने जाना कि बुरांश क्या है और बुरांश को कितने नामों से देश या विदेशों में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि बुरांश का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं, औषधीय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या हैंः-

बुरांश से मिलती है सिर दर्द से राहत

कई लोगों को प्रायः सिर दर्द की शिकायत रहती है। ऐसे में बार-बार एलोपैथिक दवाओं से नुकसान पहुंच सकता है। आप सिर दर्द से राहत पाने के लिए बुरांश का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए बुरांश के पत्तों को पीसकर सिर पर लगाएँ। इससे सिर दर्द से आराम मिलता है।

इसके साथ ही बुरांश के पत्ते का चूर्ण बनाकर नाक के रास्ते से लेने पर भी सिर दर्द से राहत मिलती है।

सांसों से संबंधित बीमारी में भी बुरांश का उपयोग करना लाभ पहुंचाता है। इसके सूखे पत्तों को तम्बाकू के साथ मिलाएं और इसके धूम का सेवन करें। इससे श्वसनतंत्र संबंधित विकार में लाभ होता है।

इसके साथ ही बुरांश के पत्ते का चूर्ण बनाकर नाक के रास्ते लेने से भी सांसों के रोग में लाभ होता है।

आप दाद रोग में भी बुरांश का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए बुरांश के नए पत्तों को पीस लें। इसे दाद पर लगाएं। दाद में फायदा होता है।

शरीर की जलन की दवा बुरांश

बहुत सारे लोगों या महिलाओं को शरीर में जलन की परेशानी रहती है। इस बीमारी में भी बुरांश का उपयोग लाभ पहुंचाता है। बुरांश के फूलों का शर्बत बनाकर पीने से पूरे शरीर में होने वाली जलन शांत हो जाती है।

जोड़ों में दर्द की परेशानी या गठिया रोग में भी बुरांस का इस्तेमाल करना लाभ देता है। बुरांस के पत्तों को पीसकर जोड़ों में लगाएं। इससे जोड़ों के दर्द और सूजन में लाभ होता है।

खाँसी के इलाज के लिए करें बुरांश का सेवन

खांसी की परेशान में बुरांश का इस्तेमाल कर सकते हैं। बुरांश के पत्ते का चूर्ण बना लें और इसे नाक द्वारा लें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।

इसी तरह इसके सूखे पत्तों को तम्बाकू के साथ मिलाकर धूम के रूप में लेने से भी खांसी की बीमारी में लाभ होता है।

बुरांश के इस्तेमाल की मात्रा

आप अपने मन से बुरांस का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें। एक औषधि के रूप में बुरांश के जूस या अन्य किसी तरह से बुरांश का इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें।

बुरांश के इस्तेमाल का तरीका

बुरांश का प्रयोग इस तरह से किया जा सकता हैः-

फूलो का पतियों का

बुराश का जूस हर दिन एक या दो गिलास ले और बुरांश के चमत्कार का अनुभव करें। ध्यान दें: औषधीय गुणों के कारण बुरांश के जूस का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।

बुरांश कहां पाया या उगाया जाता है

यह भारत,भूटान, नेपाल, चीन, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और थाईलैंड में पाया जाता है। रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम उत्तराखंड का राज्य वृक्ष, नागालैंड का राज्य फूल और नेपाल का राष्ट्रीय फूल है। बुरांश 1200 मीटर से कम और 3,600 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं।

बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।

सभार Mamta Thakur की वाल से🙏

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