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नोग वैली की डंसा लालसा और शिंगला तीनों पंचायतों में आग का तांडव, हजारों पेड़ स्वाह, बागीचे तबाह

एप्पल न्यूज, रामपुर बुशहर

हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर के नोग वैली के जंगलों में लगी आग ने क्षेत्र की वन संपदा को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाई है। यह आग पिछले दो दिनों से डंसा, लालसा और सिंगला तीनों पंचायतों के बड़े क्षेत्रों में तबाही मचा चुकी है। शिकारीधार, पशाड़ा और चिक्सा, उरु, बेसड़ी सहित क्षेत्र के जंगलों में भयंकर रूप से आग धधक रही है।

तेज हवाओं और दुर्गम भू-भाग के चलते इस आग पर काबू पाना वन विभाग के लिए कठिन साबित हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों के बावजूद आग फैलती जा रही है और इससे करोड़ों रुपये की वन संपदा नष्ट हो चुकी है।

आग ने नोग वैली की तीन पंचायतों के जंगलों को अपने चपेट में ले लिया है। इनमें शिंगला पंचायत का कलना, डंसा पंचायत का बतूना, नोगीधार, कराली, सनेयी, और शिकारीधार जैसे क्षेत्र शामिल हैं। ये इलाके न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाने जाते हैं, बल्कि यहां के जंगल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन जंगलों में वनस्पति और घास के टोलों के साथ-साथ वन्यजीवों की भी व्यापक हानि हो रही है।

स्थानीय निवासी और वन विभाग के कर्मचारी आग बुझाने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। रविवार रात को बतूना वन क्षेत्र में वन मंडलाधिकारी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने आग बुझाने का प्रयास किया।

हालांकि, तेज हवाओं के कारण आग पर नियंत्रण पाना मुश्किल साबित हो रहा है। सोमवार को आग हलोग क्षेत्र से फैलकर कराली और शिकारीधार तक पहुंच गई। शिकारीधार में स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि आग बेकाबू हो गई।

ग्रामीणों में सपना नेगी, बीरमा नेगी, राज नेगी, गीता नेगी, और अन्य ने अपने जान की परवाह किए बिना आग बुझाने में अपनी भूमिका निभाई। यह उनके साहस और प्रयासों का ही परिणाम है कि आग को आंशिक रूप से नियंत्रित किया जा सका है। लेकिन अभी तक नुकसान का सटीक आकलन नहीं हो पाया है। फिर भी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि करोड़ों की वन संपदा राख में बदल चुकी है।

इस घटना ने सरकार और वन विभाग की तैयारियों की कमी को उजागर किया है। हर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती हैं, लेकिन आज तक ऐसी कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है जिससे इन घटनाओं पर प्रभावी रूप से काबू पाया जा सके। खासतौर पर दूरदराज के इलाकों में अग्निशमन की सुविधा न होने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।

यह समय है कि सरकार और वन विभाग इस समस्या पर गंभीरता से विचार करें। जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियानों की जरूरत है।

साथ ही, स्थानीय स्तर पर अग्निशमन उपकरणों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए। ग्रामीणों की भागीदारी के साथ ठोस योजनाएं बनाई जानी चाहिए, ताकि ऐसी आपदाओं से समय पर निपटा जा सके।

इस आगजनी का असर न केवल पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि यह स्थानीय समुदायों की आजीविका और वन्यजीव संरक्षण पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा। बेहतर प्रबंधन और जागरूकता से ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

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