जनरल वी के सिंह, एप्पल न्यूज़ ब्यूरो
मैं जब मोदी 1.0 और मोदी 2.0 में बिताए अपने साढ़े पांच साल को देखता हूं तो मैं पाता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की प्रगति के रास्ते पर एक अमिट छाप छोड़ी है। देश ने पहले पांच साल के कार्यकाल में देखा कि एक ‘नया भारत’ बनाने की दिशा में समावेशी विकास के लिए ढांचागत बदलाव किए गए। पिछले छह महीनों ने विकास की ऐतिहासिक रफ्तार देखी है। मैं दो क्षेत्रों का विश्लेषण करके इसे स्पष्ट करता हूं जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डाला, रक्षा क्षेत्र और विदेश नीति की रूपरेखा।

रक्षा क्षेत्र में फैसले लेने को लेकर कई तरह की घरेलू चुनौतियां थीं। यह काफी समय से लंबित मामलों और प्रस्तावों में झलकता था। इसने सैन्य बलों की मारक क्षमता को उन्नत बनाने के लिए जरूरी खरीद को बुरी तरह प्रभावित किया। सैनिक कल्याण की बात करें तो ओआरओपी से बेहतर क्या नजीर हो सकती है, इस मुद्दे को हल करने में 40 से ज्यादा वर्षों का समय लग गया। यह माननीय प्रधानमंत्री की निर्णायकता के कारण हल हो सका। मोदी 2.0 के पहले छह महीने में हम रक्षा प्रतिष्ठानों के हर पहलुको लेकर निर्णायकता के गवाह हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के पद का मामला भी लंबे समय से अटका हुआ था। यह विचार लॉर्ड माउंटबेटन के समय में सामने आया, 1982 में जनरल कृष्णा राव ने इसे कुछ गति दी। आधिकारिक तौर पर 1999 में कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट में इस पर विचार हुआ और मंत्रीसमूह ने वर्ष 2001 में इसे आधिकारिक तौर पर प्रस्तावित किया। वर्ष 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाए जाने के फैसले की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले के प्राचीर से दिए अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की।
राफेल एमएमआरसीए लड़ाकू विमान को लड़ाई के लिए तैयार स्थिति में खरीदने का फैसला एक बार फिर सरकार की निर्णायकता को दर्शाता है। यह फैसला वर्ष 2012 से लंबित पड़ा था।इसके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा था। यह सौदा भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता की कीमत पर फंसा हुआ था। इस साल सितंबर में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर को सेवा में शामिल करना भी इसी भी तरह की ही कहानी है। अगर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपनी निर्णायकता प्रदर्शित नहीं करती तो इनमें बहुत देरी होती। माननीय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आगे बढ़कर यह सुनिश्चित कर रही है कि बिना समय गंवाए सैन्य बलों की सभी जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा।
मेक इन इंडिया पहल और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से डीआरडीओ भी आगे बढ़ा और उसने त्वरित प्रतिक्रिया वाली जमीन से हवा में मार करने में सक्षम स्वदेशी मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया। यह हमारी हवाई रक्षा प्रणाली की क्षमता में इजाफा करती है और वायुसेना एवं सेना के हथियारों को उन्नत बनाती है। जैसा कि मैंने पहले भी जिक्र किया कि हमारा आधुनिकीकरण और लड़ाकू क्षमता, निर्णय न ले पाने की कमी के चलते प्रभावित हुए। लेकिन इन छह महीनों ने यह साबित किया है कि जबराष्ट्र हित और सुरक्षा से जुड़े मामलों की बात हो तो प्रधानमंत्री मोदी की सरकारइनमें कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
सरकार ने सुरक्षा बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों एवं अर्द्धसैनिक बलों के कल्याण से जुड़े मामलों में भी बड़ी तत्परता दिखाई है। राशन, भुगतान और प्रोन्नति एवं प्रगति से जुड़े मामलों को समयबद्ध तरीके से हल किया गया। देश ने वर्ष 2014 से पहले इस तरह के कदम नहीं देखे।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत को वैश्विक राजनीति में ऊंचा मुकाम दिलाने के लिए किए गए प्रयास विदेश नीति की रूपरेखा को दर्शाते हैं। ह्यूस्टन में 50,000 प्रवासियों के हाउडी मोदी कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप शामिल हुए। कई प्रख्यात वैश्विक हस्तियों ने इसकी प्रशंसा की। यह प्रधानमंत्री के कद और हमारे प्रवासी समुदाय की धमक को दर्शाता है। विश्व भर में हमारे प्रवासियों में बना भरोसा भारत और इसकी कुशल आबादी की वास्तविक सराहना है। वैश्विक राजनीति से बने संबंध वास्तव में फल-फूल रहे हैं और विभिन्न वैश्विक मंचों पर हम जो समर्थन पाने में सफल रहे हैं, ये उसकी गवाही देता है। पिछले छह महीने हमारी विदेश नीति के निर्माण में आए बेहतरीन संतुलन को दर्शाते हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि पिछले छह महीने में मोदी सरकार द्वारा केंद्रित होकर किए गए प्रयासों और नए जोश ने एक नए एवं उभरते भारत के निर्माण के लिए शांति, प्रगति तथा समृद्धि का दौर शुरू किया है।