एप्पल न्यूज, धर्मशाला
धर्मशाला तपोवन में विधानसभा सत्र के अंतिम दिन विशेषाधिकार हनन के मुद्दे पर सत्तापक्ष व विपक्ष आमने-सामने आ गए, जिसके चलते सदन में तीखी बयानबाज़ी और शोर-शराबा हुआ।
विवाद बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने गुरुवार को ही विशेषाधिकार हनन की शिकायत विधानसभा सचिवालय में जमा करवाई थी।
सत्र के अंतिम दिन विपक्षी विधायकों — विपिन सिंह परमार, राकेश जम्वाल और त्रिलोक जम्वाल ने भी नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन की शिकायत दी।
इस पर अध्यक्ष ने दोनों शिकायतों के अध्ययन का निर्देश दिया।

इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हो गई, जिसके बाद हंगामे को देखते हुए सदन स्थगित किया गया।
रिकॉर्ड से असंसदीय शब्द हटेंगे
कार्यवाही पुनः शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष ने कहा:
सदन के रिकॉर्ड से असंसदीय एवं अवांछित शब्द हटाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के सहयोग से सदन चलाना आवश्यक है।
जब कोई सदस्य बोल रहा हो तो अन्य को व्यवधान नहीं डालना चाहिए।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का पक्ष
लोकतंत्र में दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का अधिकार है।
उनके खिलाफ अभद्र शब्दों का प्रयोग हुआ, इसलिए कार्रवाई मांग रहे हैं।
“मुझे धमकाने की कोशिश की गई, जनता ने मुझे चुनकर भेजा है।”
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का पक्ष
विपक्ष को सत्र के दौरान बोलने का पर्याप्त अवसर मिला।
अभद्र भाषा को रिकॉर्ड से हटाया जाना चाहिए।
सरकार किसी के प्रति द्वेष नहीं रखती, यदि कुछ गलत हो तो जांच होती है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का जवाब
बेवजह की बहस से समाधान नहीं निकलते।
सरकार पर झूठ बोलने और सूचनाएं घुमा-फिराकर देने के गंभीर आरोप।
कहा कि सरकार विधानसभा को गुमराह कर रही है और “धारा 118 के बहाने प्रदेश के हित बेचे जाने” की बात दोहराई।
दोनों पक्षों की विशेषाधिकार हनन शिकायतें अध्ययनाधीन हैं।
अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि असंसदीय टिप्पणियां रिकॉर्ड से हटेंगी।
मुद्दा सांसद/मंत्रियों की टिप्पणियों की मर्यादा और सदन की गरिमा से सीधे जुड़ गया है।






