एप्पल न्यूज, शिमला
आयुष मंत्री यादवेन्द्र गोमा तथा उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने आज जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने कांगड़ा जिले को ‘टूरिज्म कैपिटल’ घोषित किया है तथा राज्य सरकार ने इस दिशा में अनेक प्रभावी कदम उठाने आरम्भ कर दिये हैं।
उन्होंने कहा कि इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने पालमपुर के समीप एक टूरिज्म विलेज स्थापित करने का निर्णय लिया था, जिसके लिए कांगड़ा जिले के पालमपुर में चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की जमीन हस्तांतरित की गई है।
स्थापना के 46 वर्ष बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय उपलब्ध पूर्ण भूमि को इस्तेमाल करने में असफल सिद्ध हुआ है और आज भी विश्वविद्यालय के पास भूमि का बहुत बड़ा भाग खाली है।
हालांकि विश्वविद्यालय की 2899 कनाल भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करने पर अदालत ने फिलहाल रोक लगा दी है और मामला कोर्ट के विचाराधीन है।
लेकिन हकीकत यह है कि विश्वविद्यालय अभी भी उपलब्ध भूमि का पूरी तरह से प्रयोग नहीं कर पा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 200 करोड़ रूपये की लागत से इस 2899 कनाल भूमि पर एग्रो इको टूरिज्म गतिविधियां शुरू करेगा, जिससे पालमपुर क्षेत्र में ही नहीं बल्कि जिला कांगड़ा में युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होने के साथ साथ क्षेत्र की आर्थिकी में सुधार आयेगा।
जिस भूमि के हिस्से को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित किया गया है, उस पर भी विश्वविद्यालय कोई काम नहीं कर रहा है और वह लम्बे वक्त से यह भूमि खाली पड़ी थी।
इस भूमि को हस्तांतरित करने के बाद भी विश्वविद्यालय के पास लगभग 7499 कनाल भूमि अभी भी है, जो विश्वद्यिालय के अभी के कार्यों और भविष्य की जरूरतों के लिए पर्याप्त है।
गोमा तथा पठानिया ने कहा कि यही नहीं हस्तांतरित भूमि के बदले में कृषि विश्वविद्यालय को प्रतिपूर्ति के तौर पर राज्य सरकार विश्वविद्यालय के साथ सटी 20 से 25 हेक्टेयर सरकारी भूमि प्राकृतिक खेती केन्द्र खोलने के लिए प्रदान करेगी।
इसके अतिरिक्त इस केन्द्र को स्थापित करने के लिए राज्य सरकार 10 करोड़ रूपये की आर्थिक मदद भी देगी। साथ ही विश्वविद्यालय में सब्जी तथा अन्य बीज उत्पादों के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने को 6 करोड़ रूपये की अतिरिक्त सहायता भी देगी।
दोनों ने कहा कि पालमपुर में बनने वाला ‘टूरिज्म विलेज’ राज्य सरकार का जिला कांगड़ा को ‘टूरिज्म कैपिटल’ बनाने की दिशा में बढ़ाया गया, एक कदम है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। यह कदम जिला कांगड़ा की समृद्धि में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।