एप्पल न्यूज, शिमला
25 जनवरी 1971 का दिन हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ के रूप में दर्ज है। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में हिमाचल को भारत के 18वें राज्य के रूप में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की।
बर्फीले मौसम में हुई इस ऐतिहासिक घोषणा ने हिमाचलवासियों के संघर्ष और समर्पण को मान्यता दी। हिमाचल प्रदेश ने पिछले 54 वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, जिसमें इसे न केवल अपनी पहचान मजबूत करनी पड़ी, बल्कि कठिन भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद विकास की नई ऊंचाइयों को छूना पड़ा।
हिमाचल के राज्यत्व की यात्रा
हिमाचल प्रदेश का गठन 15 अप्रैल 1948 को 30 छोटी-बड़ी रियासतों को एकीकृत करके किया गया। यह भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनने वाले प्रारंभिक क्षेत्रों में से एक था। हालांकि, शुरुआती दिनों में इसे केंद्रशासित प्रदेश और ‘सी’ श्रेणी का राज्य माना गया।

इसके बाद, 1 नवंबर 1966 को ‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम’ के तहत कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और शिमला सहित कई क्षेत्र हिमाचल में शामिल किए गए। इससे राज्य का क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग किलोमीटर हो गया। लेकिन, हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना अभी बाकी था।
दिसंबर 1970 में संसद ने ‘हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम’ पारित किया, जिसने हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। आखिरकार, 25 जनवरी 1971 को शिमला के रिज मैदान पर हजारों लोगों की उपस्थिति में, बर्फबारी के बीच, इंदिरा गांधी ने इस घोषणा को औपचारिक रूप दिया।
घोषणा के बाद, लोग खुशी में नाटियों पर झूम उठे। बर्फ के बीच जल रही अलाव और हर्षोल्लास के बीच हिमाचल ने अपनी नई पहचान हासिल की।
राज्य गठन के बाद की चुनौतियां और उपलब्धियां
पूर्ण राज्य बनने के बाद हिमाचल प्रदेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहाड़ी भूभाग, कठिन जलवायु, और सीमित संसाधन राज्य की प्रगति में बड़ी बाधाएं थीं। फिर भी, राज्य ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की।
- शिक्षा का विकास:
आज हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 83% से अधिक है, जो राज्य के सतत प्रयासों का परिणाम है। छोटे-छोटे गांवों में भी स्कूलों की स्थापना और मुफ्त शिक्षा की पहल ने शिक्षा को हर घर तक पहुंचाया। - स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार:
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद, हिमाचल ने स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया। आज हिमाचल देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां मातृ एवं शिशु मृत्यु दर सबसे कम है। - बुनियादी ढांचा और सड़क नेटवर्क:
पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कें बनाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन हिमाचल ने इस क्षेत्र में भी प्रगति की है। आज राज्य में लगभग हर गांव तक सड़कें पहुंच चुकी हैं। ग्रामीण परिवहन और कनेक्टिविटी ने न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, बल्कि पर्यटन को भी मजबूती प्रदान की है। - पर्यटन और आर्थिक प्रगति:
हिमाचल प्रदेश ने अपनी प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति और परंपराओं को संजोकर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बनाई है। शिमला, मनाली, धर्मशाला, और कसौली जैसे पर्यटन स्थलों ने राज्य को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया है। - स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण:
हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन में अग्रणी है और इसे “भारत का पावर स्टेट” भी कहा जाता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी राज्य ने ठोस कदम उठाए हैं। 2021 में हिमाचल ने सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर देश के अन्य राज्यों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया।
संघर्ष और संकल्प की कहानी
हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की राह आसान नहीं थी। कई संस्थाएं और राजनीतिक समूह हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थे।
उनका तर्क था कि राज्य में संसाधनों की कमी और आर्थिक आधारभूत संरचना के अभाव के कारण यह आत्मनिर्भर नहीं हो पाएगा। लेकिन, हिमाचल के नेताओं, खासतौर से डॉ. यशवंत सिंह परमार (राज्य के पहले मुख्यमंत्री), के नेतृत्व और जनता के संकल्प ने इन बाधाओं को पार किया।
हिमाचल की विकास यात्रा: एक प्रेरणा
आज हिमाचल प्रदेश न केवल पहाड़ी राज्यों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। पिछले 54 वर्षों में, राज्य ने अपनी परंपराओं और आधुनिकता के संतुलन को बनाए रखते हुए विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है।
संक्षेप में हिमाचल का ऐतिहासिक सफर:
- 15 अप्रैल 1948: 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन।
- 1950: ‘सी’ श्रेणी का राज्य घोषित।
- 1956: केंद्रशासित प्रदेश बना।
- 1 नवंबर 1966: पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल में शामिल किया गया।
- 25 जनवरी 1971: हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
समापन: बर्फ के फाहों से उभरा एक मजबूत राज्य
25 जनवरी न केवल हिमाचल के लिए बल्कि पूरे देश के लिए यह याद दिलाने का दिन है कि एकता, संकल्प और सामूहिक प्रयासों से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश की यह यात्रा हमें सिखाती है कि सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद, जब संकल्प मजबूत हो, तो सफलता निश्चित है।
आज हिमाचल एक विकसित, स्वच्छ, और प्रगतिशील राज्य के रूप में जाना जाता है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है।