एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU), शिमला में 35वीं कोर्ट मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की।
इस बैठक में शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुसंधान, नशामुक्ति अभियान, वित्तीय प्रबंधन, डिजिटल शिक्षा, रोजगारपरक शिक्षा, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
इस बैठक में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को शैक्षणिक और प्रशासनिक रूप से अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। विशेष रूप से नशामुक्ति अभियान, शोध कार्यों में वृद्धि, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और डिजिटल तकनीकों के समावेश पर जोर दिया गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन को इन निर्णयों को समयबद्ध रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे विश्वविद्यालय को देश के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों की श्रेणी में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकें।

मुख्य बिंदु एवं घोषणाएँ
1. नशामुक्ति शपथ अनिवार्य
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की और इस समस्या के समाधान के लिए एक ठोस कदम उठाने की घोषणा की:
- विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक छात्र को नशामुक्ति शपथ पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा।
- अभिभावकों को पत्र और ईमेल के माध्यम से नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाएगा।
- कॉलेज स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मामलों के समाधान के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाएगी।
- विश्वविद्यालय में नशामुक्त वातावरण बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
2. वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय लेखों की स्वीकृति
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट और वित्तीय लेखों की समीक्षा की और उनकी स्वीकृति प्रदान की:
- 2021-22 और 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट को मंजूरी दी गई।
- 2018-19 के वार्षिक खातों (Financial Accounts) को स्वीकृति प्रदान की गई।
- विश्वविद्यालय प्रशासन को समयबद्ध तरीके से वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय लेख प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
3. विश्वविद्यालय प्रशासन और सदस्यों की जिम्मेदारी
राज्यपाल ने बैठक में अनुपस्थित कुछ सदस्यों पर नाराजगी जताई और कहा कि:
- विश्वविद्यालय कोर्ट (Court Meeting) की प्राथमिक जिम्मेदारी संस्थान के लिए व्यापक नीतियाँ और कार्यक्रम निर्धारित करना है।
- अनुपस्थित सदस्यों को यह अवगत कराया जाए कि उनकी अनुपस्थिति अस्वीकार्य है और इससे निर्णय प्रक्रिया बाधित होती है।
- विश्वविद्यालय प्रशासन, संकाय और अन्य सभी सदस्यों को समर्पण, अनुशासन और नवाचार की भावना के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
शिक्षा और शोध के क्षेत्र में विकास
4. अनुसंधान (Research) और नवाचार को बढ़ावा
- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में वर्तमान में 8,000 छात्र और 1,300 शोधार्थी (Ph.D. स्कॉलर्स) अध्ययन कर रहे हैं।
- विश्वविद्यालय ने 123 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई, जिसका उपयोग शोध परियोजनाओं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन में किया जा रहा है।
- शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए नई पहलें शुरू की जाएंगी।
5. गुणवत्तापूर्ण एवं रोजगारपरक शिक्षा पर जोर
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों को आत्मनिर्भर और राष्ट्र सेवा के योग्य बनाने में सहायक होनी चाहिए।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
- रोजगारोन्मुखी शिक्षा और उद्यमिता (Entrepreneurship) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे युवा नौकरी मांगने के बजाय नौकरी देने वाले बनें।
- डिजिटल शिक्षा और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में आधुनिक तकनीकों का समावेश किया जाएगा।
6. पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
- हिमाचल प्रदेश को ग्रीन स्टेट (हरित राज्य) बनाने के लिए विश्वविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- विश्वविद्यालय परिसर को प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
राज्यपाल का संदेश
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नैतिक मूल्यों, अनुसंधान और नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित करना आवश्यक है।
उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन, संकाय और छात्रों से आग्रह किया कि वे:
- शिक्षा को रोजगारपरक बनाने पर ध्यान दें।
- राष्ट्र निर्माण और आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहें।
- नैतिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति को प्राथमिकता दें।
बैठक में शामिल प्रमुख हस्तियाँ
- एचपीयू के कुलपति प्रो. एस.पी. बंसल ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट और नई पहलों के बारे में जानकारी दी।
- विधायक सुरेश कुमार और उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए।
- रजिस्ट्रार डॉ. वीरेन्द्र शर्मा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।
- प्रो-वाइस-चांसलर प्रो. राजिन्द्र वर्मा और राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा सहित विश्वविद्यालय न्यायालय के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।