एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश की जनता को सुक्खू सरकार ने एक बड़ा झटका दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बसों के न्यूनतम किराए को 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
यह निर्णय राज्य भर के सभी बस रूट्स पर लागू होगा और इसका सीधा असर स्कूली बच्चों, ग्रामीण यात्रियों, मजदूरों व आम जनता पर पड़ेगा।
क्या है नया फैसला?
इस फैसले के तहत अब प्रदेश में किसी भी बस यात्रा का न्यूनतम किराया 10 रुपये होगा, जबकि पहले यह केवल 5 रुपये था।
इस बढ़ोतरी का उद्देश्य राज्य परिवहन निगम (HRTC) की बढ़ती आर्थिक चुनौतियों को संतुलित करना बताया गया है।

क्यों लिया गया यह निर्णय?
- HRTC भारी घाटे में: राज्य सरकार के अनुसार हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) को चलाना लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है।
- निजी बस ऑपरेटरों की मांग: निजी बस संचालकों ने भी न्यूनतम किराए को 15 रुपये तक बढ़ाने की मांग की थी, यह तर्क देते हुए कि हिमाचल में सबसे सस्ता न्यूनतम किराया है, जबकि परिचालन लागत सबसे अधिक।
जनता पर क्या होगा असर?
- मध्यम और निम्न वर्ग प्रभावित: ग्रामीण क्षेत्रों के दैनिक यात्री, मजदूर, स्टूडेंट्स और छोटे व्यापारियों पर इस बढ़ोतरी का सीधा असर पड़ेगा।
- महंगाई का दोहरा वार: पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता को अब रोजाना यात्रा करने पर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।
- राजनीतिक बहस शुरू: विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना शुरू कर दी है, और इसे “जनविरोधी” करार दिया है।
सरकार का पक्ष
सरकार का तर्क है कि यह वृद्धि एक ‘आवश्यक सुधारात्मक कदम’ है, जिससे न केवल HRTC को राहत मिलेगी, बल्कि भविष्य में परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
परिवहन विभाग के मुताबिक राज्य में लंबे समय से किराया नहीं बढ़ाया गया था और बढ़ती लागत को देखते हुए यह फैसला वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी हो गया था।
हिमाचल प्रदेश में बसों के न्यूनतम किराए में इस अप्रत्याशित वृद्धि ने जहां एक ओर परिवहन विभाग को राहत देने की कोशिश की है, वहीं दूसरी ओर यह आम जनता की जेब पर सीधा प्रहार है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस फैसले के विरोध में उठने वाली आवाजों का किस तरह से सामना करती है।