एप्पल न्यूज, शिमला
परशुराम जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान परशुराम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस मौके पर भगवान परशुराम द्वारा स्थापित चार ठहरी के चारों देवता लालसा में एक साथ विशेष आयोजन में शामिल होंगे।
यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहते हैं। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है, जिन्होंने धरती पर अधर्म और अन्याय के अंत के लिए अवतार लिया था।
वे ब्राह्मण कुल में जन्मे एक महान योद्धा थे, जिनका व्यक्तित्व तप, शक्ति और न्याय का प्रतीक है।

परशुराम जी को शिव जी का परम भक्त माना जाता है और उन्होंने शिव से दिव्य परशु (कुल्हाड़ी) प्राप्त किया था, जो उनका मुख्य शस्त्र बना।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब अत्याचारी राजा सहस्त्रबाहु ने उनके पिता ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी, तब परशुराम ने क्रोधित होकर 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों का संहार किया और न्याय की स्थापना की।
इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं, भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र पर पुष्प, चंदन, अक्षत, धूप और दीप से पूजन करते हैं, और विष्णु सहस्त्रनाम या परशुराम स्तुति का पाठ करते हैं।
परशुराम जयंती धर्म, शक्ति और ज्ञान की एकता का संदेश देती है और जीवन में संयम, साहस व सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने परशुराम जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान परशुराम के बुद्धिमता, साहस और प्रतिबद्धता के गुण अनुकरणीय हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षाएं, न्यायप्रियता और आत्म अनुशासन के मूल्य आज भी प्रेरक हैं।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि भगवान परशुराम के गुणों पर चलकर हम आध्यात्मिक और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।