एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहर
रामपुर बुशहर में 1 नवम्बर से 3 नवम्बर, 2025 तक आयोजित तीन दिवसीय अश्व प्रदर्शनी का सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह प्रदर्शनी आगामी अंतरराष्ट्रीय लवी मेला–2025 के उपलक्ष में आयोजित की गई थी, जो कि 11 नवम्बर से 14 नवम्बर तक ऐतिहासिक नगर रामपुर बुशहर में पारंपरिक धूमधाम के साथ आयोजित किया जाएगा।
अश्व प्रदर्शनी का आयोजन पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आयोजन समिति, रामपुर बुशहर के सहयोग से किया गया था। इस प्रदर्शनी में कुल 282 अश्वों की आकर्षक प्रदर्शनी की गई।
इनमें स्पीति नस्ल के अश्व (स्टैलियन, घोड़ी, गिल्डिंग, कोल्ट/फिली) 121, स्पीति क्रॉस ब्रीड 57, अन्य गैर-वर्णित नस्लों के अश्व 46 तथा 29 खच्चर जोड़े (कुल 58 खच्चर) शामिल रहे। प्रदर्शनी के दौरान लगभग 150 पशुओं की बिक्री भी संपन्न हुई, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ।

अश्व प्रदर्शनी का ऐतिहासिक महत्व
रामपुर बुशहर की अश्व प्रदर्शनी का इतिहास सदियों पुरानी लवी मेले की परंपरा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि लवी मेला उस ऐतिहासिक व्यापारिक संधि की याद में मनाया जाता है, जो रामपुर बुशहर राज्य और तिब्बत के बीच हुई थी। उस समय घोड़े, ऊन, नमक और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार का प्रमुख हिस्सा था।
इसी व्यापारिक परंपरा के संरक्षण के उद्देश्य से अश्व प्रदर्शनी की शुरुआत की गई थी, जो धीरे-धीरे एक सांस्कृतिक और प्रजनन-प्रोत्साहक आयोजन के रूप में विकसित हुई। विशेष रूप से चमुर्थी नस्ल के घोड़े, जो अपनी सहनशक्ति, चाल और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, इस प्रदर्शनी की पहचान बन चुके हैं।
समापन समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं रामपुर के स्थानीय विधायक नन्द लाल ने की। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी सत्या नन्द लाल विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

अपने संबोधन में नन्द लाल ने कहा कि लवी मेला हिमाचल प्रदेश की व्यापारिक, सांस्कृतिक और पशुपालन परंपरा का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अश्व प्रदर्शनी इस मेले का अभिन्न हिस्सा है, जो प्रदेश के पशुपालकों को उत्कृष्ट नस्लों के संरक्षण, प्रजनन और प्रशिक्षण के प्रति प्रोत्साहित करती है।
इस प्रकार के आयोजन न केवल पशुधन विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को पारंपरिक व्यवसायों के प्रति आकर्षित करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजन अत्यंत प्रेरक हैं।
प्रदर्शनी में विभिन्न नस्लों के घोड़ों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें विशेष रूप से चमुर्थी नस्ल के अश्व आकर्षण का केंद्र रहे। प्रतिभागियों ने अपने अश्वों की चाल, शक्ति, सौंदर्य, संतुलन और प्रशिक्षण कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसे उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा।

प्रदर्शनी के अंतिम दिन गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता, 400 मीटर तथा 800 मीटर घुड़दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागी धर्म पाल और हैप्पी ने दोनों ही प्रतियोगिता में क्रमशः पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया। इन प्रतियोगिताओं ने पूरे वातावरण को रोमांचक बना दिया।
समापन अवसर पर नन्द लाल ने विभिन्न वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पशुपालकों, प्रशिक्षकों तथा प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रयास ग्रामीण हिमाचल की परंपरागत पहचान को जीवित रखते हैं।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक संजीव धीमान, उपमंडलाधिकारी (नागरिक) रामपुर हर्ष अमरेन्द्र सिंह, उपनिदेशक पशुपालन डॉ. नीरज मोहन, डॉ. अनिल, जिला परिषद सदस्य बिमला शर्मा, एडवोकेट डी.डी. कश्यप, राजेश गुप्ता, अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आयोजन समिति के सदस्य, पंचायत प्रतिनिधि, पशुपालक, व्यापारी, स्थानीय गणमान्य व्यक्ति तथा बड़ी संख्या में दर्शक एवं पर्यटक उपस्थित रहे।







