एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश में भगवान राम को वंदन करने वाली भाजपा को जीत मिली तो ताज जयराम के सिर सजा और मुख्यमंत्री बने। जनता को लगा कि राम के नाम को साकार करते हुए जयराम नशे की दलदल में फंसे हिमाचल प्रदेश के युवाओं को सही राह पर लाएंगे। लेकिन हुआ इसके विपरित।

जयराम राज में तो जनता को शराब पीने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ये हम नहीं कह रहे, इसके ताजा उदाहरण है आज कर्फ्यू के दौरान किया गया महत्वपूर्ण फैसला। फैसला ये कि कर्फ्यू के दौरान आवश्यक वस्तुओं जैसे दवाई, सब्जी, राशन के साथ ही अब शराब के ठेके भी खुले रहेंगे। यानी कि हिमाचल की जयराम सरकार ने शराब को भी आवश्यक वस्तु बना डाला। यानी शराब के बगैर हिमाचल के लोग जिंदा नहीं रह सकते।
हैरानी होती है ऐसे निर्णय पर कि आखिर किसकी सलाह पर सरकार ऐसे फैसले लेती है। यदि शराब इतनी ही जरूरी है तो फिर हर दुकान ढाबे पर परोसी जानी चाहिए।
शराब को लेकर बनाए गए सारे नियम कानून भी निरस्त किए जाने चाहिए। जिन पर भी शराब से सम्बंधित आरोप के चलते मुकदमे चले हैं उन सभी को वापस लें और नशा मुक्ति केंद्र भी बन्द कर हर ओर शराब ही शराब परोसी जाए। फिर शायद सरकार का खजाना भी भरेगा और लोग भी छक कर पिएंगे, मौज करेंगे।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ इससे पूर्व भी शराब को लेकर बनाई आबकारी नीति से जनता निराश हो चली है। प्रदेश भर में न जाने कितने ही घर शराब ने बरबाद कर दिए, कितने ही संगठन और महिला मंडल शराब बंदी को लेकर आवाज बुलंद कर चुके हैं लेकिन सरकार जनता के निर्णयों के खिलाफ फैसले सुनाकर न मालूम किसे खुश कर रही है। जबकि जनता विरोध कर रही है।