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पर्यावरण दिवस -हिमाचल में बनेंगी प्लास्टिक की सड़कें, 75 रुपये किलो प्लाटिक खरीदेगी सरकार, पानी बोतल पर लगेगा प्रतिबंध

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एप्पल न्यूज़, शिमला

हिमाचल प्रदेश ने विकास व पर्यावरण के बीच संतुलन बनाते हुए सतत विकास के पथ पर लगातार कदम आगे बढ़ाएं हैं। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय क्षेत्र न केवल इस क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य विविध जलवायु परिस्थितियों और विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों से सम्पन्न है। उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस पृथ्वी की देखभाल करने के लिए लोगों का दिन है। यह दिवस केवल औपचारिकता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाॅलीथीन बड़े पैमाने पर हमारे जल निकायों को प्रदूषित कर रहा है, समुद्री जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाता हैं और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

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उन्होंने कहा कि राज्य में पाॅलीथीन बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है। राज्य में होने वाली जनसभाओं में एक लीटर से कम क्षमता वाली प्लास्टिक की पानी की बोतलों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में आने वाले पर्यटकों को पाॅलीथीन बैग के बजाय जूट या पेपर बैग का उपयोग करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

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जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने थर्माकोल कटलरी के उपयोग पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि यह नाॅन बायोडिग्रेबल है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पत्तियों से बने डोना और प्लेट के उपयोग को बढ़ावा दिया है। यह बहुत आवश्यक है कि हम पर्यावरण के साथ तालमेल बनाए रखें। राज्य सरकार ने पाॅलीथीन खरीदने की योजना भी शुरू की है, जिसके तहत लोगों से 75 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पाॅलीथीन खरीदा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाॅलीथीन पर्यावरण में न जाए और पुनर्चक्रण कर इसका दोबारा से उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रयोग में लाए गए पाॅलीथीन का पुनः इस्तेमाल सड़कों की टायरिंग के लिए किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पाॅलीथीन जल संसाधनों के प्रदूषण और पानी की आपूर्ति को बाधित करने का एक प्रमुख कारण है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैव विविधता में समृद्ध है, क्योंकि इसमें जीव-जन्तुओं की 5721 और वनस्पतियों की लगभग 3295 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो देश की जैव विविधता का लगभग 7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और राज्य में पंचायत स्तर पर 3871 जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जैव विविधता समितियों के लिए जैव विविधता रजिस्टर तैयार किया जाना चाहिए। शहरी विकास विभाग को अपने क्षेत्रों में इन समितियों के कामकाज पर नजर रखनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए एन.जी.ओ. महिला मंडल, युवक मंडल और आम लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार का कोई भी कार्यक्रम लोगों की सक्रिय भागीदारी के बिना सफल नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओडीएफ, साक्षरता अभियान आदि जैसे सभी कार्यक्रम लोगों की भागीदारी से ही सफल हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने जय राम ठाकुर ने विभाग द्वारा प्रकाशित तीन प्रकाशन, ‘क्लाइमेट चंेज इम्पेक्ट्स एंड वलनरएबिलिटी असेंसमेंट इन हिमाचल प्रदेश, ‘ट्रेनर्ज गाइडबुक आॅन इंटेरिंग क्लाइमेट चेंज इन डवेल्पमेंट प्लानिंग इन हिमाचल प्रदेश’ और टेक्नोलाॅजी नीड्ज असेंस्मेंट फाॅर क्लाइमेंट चेंज अडेपटेशन इन वाटर सेक्टर इन हिमाचल प्रदेश को भी जारी किया।

उन्होंने जालपा स्वयं सहायता समूह गांव पाधरू जिला मण्डी और महिला स्वयं सहायता समूह गांव उल्धारा जिला मण्डी को पत्तल और डोना बनाने की मशीनें भी भेंट की।

मुख्यमंत्री ने विजेताओं को पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार 2019-20 भी वितरित किए।

एनजीओ श्रेणी में हीलिंग हिमालय फाउंडेशन कुल्लू को पहला पुरस्कार, द वाॅयस एनजीओ शिमला को द्वितीय और चंदन क्रांति मंडी को तृतीय पुरस्कार दिया गया। ग्राम पंचायत कामरू सांगला किन्नौर ने ग्राम पंचायत श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार हासिल किया। उद्योग श्रेणी में मैसर्ज टौरेंट फार्मा बद्दी ने प्रथम पुरस्कार, मैसर्ज एनटीपीसी कोल डैम बिलासपुर और मैसर्ज ल्यूमिनस दोनों ने द्वितीय पुरस्कार, स्वामी विवेकानंद राजकीय काॅलेज घुमारवीं स्कूलों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पहले स्थान पर रहे। स्कूल श्रेणी में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शमरौर सोलन ने पहला पुरस्कार, डीएवी सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल न्यू शिमला और राजकीय सीनियर स्कूल हिमगिरी चंबा दोनों ने दूसरा पुरस्कार जीता। कार्यालय परिसर में एसजेवीएनएल काॅर्पोरेट आॅफिस काॅम्प्लेक्स शिमला को पहले और डीडीयू अस्पताल शिमला को अस्पताल की श्रेणी में दूसरा पुरस्कार दिया गया।

मुख्यमंत्री ने पुरस्कार विजेताओं को इस अवसर पर बधाई दी।

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि दुनिया के विकसित देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण ओजोन परत के क्षय के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हरित आवरण को बनाए रखने में राज्य सराहनीय कार्य कर रहा है।

मुख्य सचिव अनिल खाची ने सड़क के किनारे कूड़ा-कचरे की डंपिंग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पुरस्कार विजेताओं को पर्यावरण संरक्षण के राजदूत के रूप में कार्य करना चाहिए।

पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव रजनीश ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए शिमला जल निगम लिमिटेड के बारे में प्रस्तुति दी और शिमला शहर में पानी के रिसाव को ठीक करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी।

निदेशक, पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी डी.सी. राणा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर महापौर शिमला नगर निगम सत्या कौंडल, उप महापौर शैलेंद्र चैहान, एमडी एसजेवीएनएल नंद लाल शर्मा, पीसीसीएफ अजय कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।

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