वन, युवा सेवाएं एवं खेलमन्त्री राकेश पठानिया ने सोमवार को प्रदेश वन मुख्यालय का दौरा किया और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। वन मंत्री ने कहा कि विभागीय अधिकारी एक टीम भावना से कार्य कर रहे हैं और वे भी पूरे समर्पण के साथ विभाग को आगे ले जाने के लिए कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक हरित प्रदेश है जहां ईको-टूरिज्म की व्यपाक सम्भावनाएं हैं, जिसका दोहन पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को प्रदूषण मुक्त वातावरण मिले, इसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों जैसे सौर उर्जा, हरित उर्जा के उपयोग आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।
राकेश पठानिया ने कहा कि नदियों के कैचमेंट क्षेत्रों में चैकडैम इत्यादि जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। छोटे-छोटे चैक डैमों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे वर्षा का पानी अधिक समय तक जमीन में रहे व इसकी उत्पादकता को बढ़ाए। उन्होंने कहा कि भू-कटाव वनों को हानि पहुंचाने का मुख्य कारण है जिस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों एवं किसानों को इस तरह की गतिविधियों से जोड़ने को प्रथमिकता दी जाएगी जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे।
उन्होंने कहा कि वनों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा वन रक्षकों को हथियार उपलब्ध करवाना आवश्यक है। वन विभाग के कर्मचारियो को हथियार उपलब्ध करवाने की नीति में भी आवश्यक बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभाग के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यलयों में कंट्रोल रूम बनाए जाएंगें, जिनके माध्यम से वनों में होने वाली विभिन्न गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।
वन मंत्री ने वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा वानर नसबंदी कार्य की भी सराहना करते हुए कहा कि वानर समस्या से और अधिक प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता है।
इससे पहले अजय कुमार प्रधान मुख्य अरण्यपाल, पीसीसीएफ वन ने विभाग की गतिविधियों की जानकारी दी। डाॅ. सविता प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी ने भी वन्य प्राणी प्रभाग के कार्यों के बारे में प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर संजय गुप्ता अतिरिक्त सचिव वन, अर्चना शर्मा प्रधान मुख्य अरण्यपाल वित तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।