एप्पल न्यूज़, शिमला
ऑल इंडिया होमगार्ड कल्याण संघ एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता जोगिंदर चौहड़िया का कहना है कि देश में प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन दूसरी तरफ देश के प्रत्येक महिला एवं पुरूष वर्दीधारी होमगार्ड जवान अपने परिवार सहित पिछले 6 दशकों से गुलामी का मातम मनाते आ रहे हैं। देश के प्रत्येक होमगार्ड ने तिरंगे को साक्षी मानकर देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर करने की जो शपथ ग्रहण की थी।
उसे पिछले सात दशकों से पूरी ईमानदारी के साथ दिन-रात पूरी जिम्मेदारी के साथ समस्त प्रकार की विकट से विकट परिस्थिति में भी निभा रहा है, लेकिन उस शपथ का क्या जो देश के जन प्रतिनिधियों ने ली थी, जिसमें एक मुख्य पंक्ति जिसमें मैं भय, पक्षपात, अनुराग तथा द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा, फिर होमगार्ड के साथ न्याय कब? जबकि होमगार्ड संपूर्ण भारतवर्ष से जुड़ा विषय है।
आज की इस क्षण भर की जिदंगी का कोई भरोसा नहीं है। यदि ये क्षण भर की जिदंगी भी घुट-घुटकर, डर कर, सहम कर तथा एक गुलाम कि भांति बितानी पड़े, तो क्या औचित्य लोकतंत्र का तथा क्या औचित्य सरकार का। आपका एक निर्णय लाखों करोड़ों पुरूष एवं महिला होमगार्ड जवानों तथा इनके परिवारों की जिदंगी में अमृतपान जैसी ऊर्जा का संचार कर सकता है।
एक ऐसा निर्णय जिसमें करोड़ों लोगों का कल्याण निहित हो। यही लोकतंत्र का मूल आधार है और यही भारतीय संविधान की पालना भी। संपूर्ण भारतवर्ष 15 अगस्त,1947 को स्वंत्रता दिवस मनाता है, लेकिन भारतीय होमगार्ड कब आज़ाद होगा? और वो कोन सा दिन होगा जब देश का होमगार्ड भी आज़ादी का जश्न मनाएगा।