शर्मा जी, एप्पल न्यूज़ रामपुर बुशहर
बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार आज शनिवार 10 जुलाई को रामपुर बुशहर के शाही श्मशानघाट में किया जाएगा। हजारों लोगों की मौजूदगी में उनकी पार्थिव देह को पंचतत्व में विलीन किया जाएगा।
इससे पूर्व सुबह 8 बजे से उनके वारिस टिका विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक करवाया जाएगा और राजतिलक की परंपरा निभाई जाएगी। इस दौरान 4 ठहरियों डँसा, लालसा, शिंगला और शनेरी देवता के वाद्ययंत्रों से राजतिलक के दौरान मधुर धुनें बजाई जाएगी। राज्याभिषेक के लिए 7 बावड़ियों का पवित्र जल और मिट्टी लाई जाएगी। राजपूतोहित ब्राह्मणों के साथ वेदमंत्रों से विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक करेंगे।
राजपुरोहित पंडित योगराज गौतम, राजमहल के प्रबंधक रामआसरे ठाकुर और अन्य लोगों ने बताया कि इस मौके पर विक्रमादित्य सिंह पूरे राजसी परिधान राजा का मुकुट, हाथ मे खानदानी तलवार और शाही लिबास पहनेंगे। इसके बाद उन्हें शाही राजगद्दी पर बिठाया जाएगा। परम्परा के अनुसार राजगद्दी को खाली नहीं रखा जाता इसलिए अंतिम संस्कार से पहले ही राजतिलक करवाया जाता है। जिसके बाद राजा वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह को कांधा दिया जाएगा।
कलकत्ता से लाए गेंदा फूल
राजा वीरभद्र सिंह को पुष्पांजलि देने और अन्य परम्पराओं के निर्वहन के लिए कलकत्ता से गेंदे के फूल मंगवाए गए। कृष्ण नेगी ने बताया कि इस सीजन में हिमचल और पड़ोसी राज्यो में फूल उपलब्ध नहीं थे जिस कारण गेंदा के फूल कलकत्ता से दिल्ली और फिर उन्होंने सड़क मार्ग से रामपुर बुशहर पहुंचाए हैं।
राजा वीरभद्र सिंह की अंतिम इच्छा रही अधूरी
राजा वीरभद्र सिंह की अंतिम इच्छा थी कि जब भी विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक हो तो समूचे क्षेत्र से 17 देवी देवताओं की पालकियां यहां पहुंचे, माता श्राइकोटी भी राजमहल पहुंचे।
राजपुरोहित पंडित योगराज गौतम ने एप्पल न्यूज़ से विशेष बातचीत में बताया कि पूरे विधि विधान और के साथ भरे दरबार में बेटे विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक हो लेकिन ये अब सम्भव न हो सका और आज मातम के बीच विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक ऐसे दुख के माहौल में हो रहा है। ऐसे में वीरभद्र सिंह की आखिरी इच्छा मन मे ही दफन होकर चली गई।