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मनरेगा के तहत 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में से 2 लाख की GIS योजनाओं को पूरा करने की उपलब्धि हासिल की

  • जीआईएस-आधारित योजना का उपयोग करके महात्मा गांधी एनआरईजीएस के योगदान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इसके प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहे हैं।
  • क्रिस्प-एम टूल, जो स्थानीय समुदायों को बदलते जलवायु के प्रभाव को समझने और उन पर उचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा
  • युक्तधारा भू-स्थानिक योजना पोर्टल अन्य मंत्रालयों को मानचित्र पर नियोजित संपत्तियों की भौगोलिक स्थिति देखने में मदद करता है, जो कार्यों के लिए योजना को एकीकृत करता है, अभिसरण योजनाओं को अनुकूलित करता है और प्रभावी निगरानी की सुविधा प्रदान करता है  

एप्पल न्यूज़, शिमला

ग्रामीण विकास मंत्रालय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम-एनआरईजीए के अंतर्गत 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में से 2 लाख ग्राम पंचायतों (जीपी) के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) योजनाओं को पूरा करने के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि तक पहुंच गया है| मंत्रालय रिज टू वैली दृष्टिकोण पर आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर रहा है। महात्मा गांधी एनआरईजीएस के अंतर्गत जीआईएस आधारित योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक पहल है जो ग्राम पंचायत को ग्राम पंचायत स्तर पर योजना बनाने के लिए वैज्ञानिक और समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में मदद करती है। कार्यान्वयन स्तर पर भागीदारी योजना सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

मंत्रालय ने मंत्रालय और एनआईआरडीपीआर (राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान) की पहल के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के महात्मा गांधी एनआरईजीएस कार्यकर्ताओं को जीआईएस और आरएस (रिमोट सेंसिंग) प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया है। इसके बाद, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने वित्त वर्ष 2020-21 में प्रमुख कार्य के रूप में प्रति ब्लॉक जीपी की 4 जीआईएस-आधारित योजनाएं तैयार कीं, जिन्हें सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद सभी ग्राम पंचायतों में विस्तारित किया गया।

जीआईएस-आधारित योजना का उपयोग करके महात्मा गांधी एनआरईजीएस के योगदान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इसके प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहे हैं। उचित योजना और निर्णय लेने के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर गुणवत्तापूर्ण संपत्तियों का विकास हो रहा है।

महात्मा गांधी नरेगा ने हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और एनआरएम संसाधन आधार को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) आधारित योजना पर बल दिया है। भूमि का व्यवस्थित विकास, वाटरशेड सिद्धांतों (रिज टू वैली एप्रोच) का पालन करते हुए वर्षा जल का उपयोग और आय अर्जित करने वाली संपत्ति का निर्माण महात्मा गांधी एनआरईजीएस कार्यों का महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। महात्मा गांधी एनआरईजीएस के अंतर्गत किए गए कार्यों की योजना अब भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और रिमोट सेंसिंग (आरएस) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके बनाई जाती है। इस उद्देश्य के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) से बहुप्रशंसित ‘भुवन’ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी समाधान का लाभ उठाया गया है। 

देश भर में महात्मा गांधी एनआरईजीएस गतिविधियों की ग्राम पंचायत स्तर की योजना को और सुविधाजनक बनाने के लिए, युक्तधारा भू-स्थानिक योजना पोर्टल को ग्रामीण विकास मंत्रालय के महात्मा गांधी नरेगा डिवीजन के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भुवन प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है। यह योजना पोर्टल अन्य मंत्रालयों और विभागों को वेब प्रबंधन प्रणाली में मानचित्र पर नियोजित संपत्तियों की भौगोलिक स्थिति को देखने में भी मदद करता है, जो कार्यों के लिए योजना को एकीकृत करता है, अभिसरण योजनाओं को अनुकूलित करता है और कार्यों के कार्यान्वयन और संपत्तियों के निर्माण की प्रभावी निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।

मंत्रालय ब्रिटेन के एफसीडीओ, जिसे क्रिस्प-एम के नाम से जाना जाता है, के साथ एक संयुक्त पहल के माध्यम से उपरोक्त डेटा के साथ जलवायु डेटा को एकीकृत करने की दिशा में भी काम कर रहा है, जो स्थानीय समुदायों को विभिन्न भूभौतिकीय मापदंडों के संदर्भ में बदलते जलवायु के प्रभाव को समझने और उनके बारे में उचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा। इसे शुरू में सात राज्यों- बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में शुरू करने का प्रस्ताव है। बाद में अन्य सभी राज्यों में भी इसका विस्तार किया जाएगा। 

भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस)

जीआईएस भौगोलिक भूभाग के मानचित्रण और विश्लेषण के लिए एक कंप्यूटर आधारित उपकरण है और क्षेत्र के लिए उपयुक्त विकास कार्यों के वैज्ञानिक विकल्प प्रदान करता है। यह तकनीक सामान्य डेटाबेस संचालन जैसे क्वेरी और सांख्यिकीय विश्लेषण को नक्शों द्वारा प्रस्तुत किए गए अनूठे चित्रण और भौगोलिक विश्लेषण लाभों के साथ एकीकृत करती है।  

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