रोहित ठाकुर, विधायक जुब्बल-नावर-कोटखाई ने प्रदेश के महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर जी को बाग़वानी व सेब उद्योग से जुड़े ज्वलन्त मुद्दों का समाधान करने बारें ज्ञापन सौंपा हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
एप्पल न्यूज़, शिमला
सेवा में,
महामहिम राज्यपाल महोदय,
हिमाचल प्रदेश।
विषय: बाग़वानी व सेब उद्योग से जुड़े ज्वलन्त मुद्दों का समाधान करने बारें ज्ञापन।
महोदय,
आदर सहित निवेदन हैं कि मैं आपका ध्यान वर्तमान भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार की ग़लत नीतियों के चलते कठिन दौर से गुज़र रही सेब बाग़वानी की ओर आकर्षित करवाना चाहता हूँ। महोदय, प्रदेश की कुल जनसंख्या के 90 प्रतिशत से अधिक लोग ग्रामीण इलाक़ो में रहते हैं और लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका व रोज़गार के लिए कृषि-बाग़वानी क्षेत्र पर निर्भर है। प्रदेश में कृषि व बाग़वानी का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 13 प्रतिशत का योगदान है।
महोदय, हिमाचल प्रदेश में बाग़वानी क्षेत्र में सेब ₹5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी पैदा करता हैं। वर्तमान में केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियों से बाग़वानी उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहें हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय, इस ज्ञापन के माध्यम से मेरा आपसे निवेदन हैं कि आप बाग़वानी व सेब उद्योग से जुड़े ज्वलन्त मुद्दों के समाधान के लिए सरकार को बागवानों के हित में उचित क़दम उठाने बारें हस्तक्षेप करें।
1. पैकिंग सामग्री के दामों को नियंत्रित किया जाएं:-
महोदय, गत दो वर्षो से लगातार पैकिंग सामग्री में अप्रत्याशित 40 से 50% प्रतिशत की वृद्धि हो गई हैं। पिछले वर्ष के मुकाबलें इस बार कार्टन में 5 से 10 रुपए जबकि प्रति बंडल ट्रे में ₹200 रूपए की अप्रत्याशित वृद्धि हुई हैं। निजी कंपनियां पैंकिग सामग्री के दाम बढ़ने का कारण केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दर में 12% से 18% वृद्धि को बताकर पल्ला झाड़ रही हैं। एचपीएमसी व हिम्फेड़ ने पैंकिग सामग्रियों के विपणन के लिए अभी तक टेंडर आमंत्रित नहीं किए। महोदय, पहले हिम्फेड़ व एचपीएमसी टेंडर आमंत्रित कर बाग़वानों को उचित दामों में पैंकिग सामग्री उपलब्ध करवाती थी अब सरकार ने पैकिंग सामग्री के विपणन का एक तरह से निजीकरण कर निजी उद्यमियों के हाथ में सौप दिया हैं। महोदय, पैकिंग सामग्रियों के दाम बढ़ने से बाग़वानी की लागत बढ़ती ही जा रही हैं जिसने बाग़वानों की कमर तोड़ कर रख दी हैं। मेरा आपके माध्यम से केंद्र सरकार से आग्रह हैं कि पैकिंग सामग्रियों पर 18% जीएसटी दर को घटाया जाए व पैकिंग सामग्री का विपणन नियंत्रित दरों पर हिम्फेड़ व एचपीएमसी के माध्यम से करवाया जाए।
2. फफूंदनाशक, कीटनाशक दवाइयों की कीमतें नियंत्रित हो और अनुदान योजना को बहाल किया जाए:-
महोदय, कृषि-बाग़वानी क्षेत्र में उपयोग होने वाली कीटनाशक-फफूंदनाशक दवाइयों के दामों में निजी कंपनियों द्वारा लगातार वृद्धि की जा रहीं हैं। कुछ आवश्यक कीटनाशक- फफूंदनाशक दवाइयों के दाम तो दोगुने हो गए हैं। एक ओर कीटनाशक- फफूंदनाशक दवाइयों के दाम अनियंत्रित होते जा रहे हैं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने जीएसटी में भी 18% की भारी-भरकम वृद्धि का बोझ किसानों-बाग़वानों पर लाद दिया हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय, पूर्व कांग्रेस सरकार ने बाग़वानों को राहत देने के लिए उद्यान विभाग के माध्यम से कीटनाशक एवं फफूंदनाशक दवाइयों पर 50 प्रतिशत अनुदान राशि शुरू की थी जिसे प्रदेश की भाजपा सरकार ने गत्त वर्ष 2020 में बन्द कर दिया है। एक वर्ष में बागवानों को 12-13 बार दवाईयों का छिड़काव करना पड़ता हैं। ओलावृष्टि, बेमौसमी बर्फ़बारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं और स्कैब़ जैसी बीमारियों में दवाईयों का छिड़काव की संख्या बढ़ जाती हैं। प्रदेश में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या 80 से 90 प्रतिशत हैं और दवाईयों पर 50% अनुदान का सबसे अधिक फ़ायदा भी इन्हीं बागवानों को मिलता था। महोदय, सेब उत्पादन घटने और लगातार लागत बढ़ने से सेब की बाग़वानी छोटे व मध्यम वर्ग के बाग़वानों के लिए घाटे का सौदा साबित होती जा रही है। महोदय, मेरा आपके माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध हैं कि फफूंदनाशक, कीटनाशक दवाइयों के दामों को नियंत्रित किया जाएं, जीएसटी की दर को घटाया जाएं व प्रदेश सरकार फफूंदनाशक, कीटनाशक दवाइयों पर 50% अनुदान योजना को अविलंब बहाल कर किसानों-बागवानों को राहत प्रदान करें।
3. सेब पर आयात शुल्क बढाने व विशेष उत्पाद की श्रेणी में लाने बारें:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 व 2019 के संसदीय चुनाव में सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्ज़ा दिलाने व सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की थी जिस पर सरकार ने कोई पहल नही की हैं। आयात शुल्क 50% होने के चलते विदेशों से सस्ते दामों में सेब आयात हो रहा हैं जिससे प्रदेश के बागवानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा हैं। इसी तरह ईरान, तुर्की जैसे देशों से अवैध रूप से रिकॉर्डतोड़ सेब आयात किया जा रहा हैं जिससे CA स्टोर में रखे सेब की कीमतों में भारी गिरावट हो रही हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय, मेरा आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से अनुरोध हैं कि सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में लाने, सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने व अवैध रूप से आयात हो रहें सेब पर रोक लगाने के मामलों को केंद्र सरकार से सुलझाकर बागवानों को राहत दें।
4. सेब के समर्थन मूल्य को बढ़ाए व मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत बक़ाया राशि को ज़ारी करें सरकार:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, महोदय, 1980 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्रियों स्व० ठाकुर रामलाल व स्व० राजा वीरभद्र सिंह द्वारा बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए सेब पर समर्थन मूल्य प्रारम्भ किया था जिसका लाभ आज भी बागवानों को मिल रहा हैं। कांग्रेस सरकारों द्वारा समय-2 पर सेब का समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया । मौजूदा समय में कीटनाशक-फफूंदनाशक दवाईयों, खाद, पैकिंग सामग्री के दामों में लगातार हो रही अप्रत्याशित वृद्धि से सेब पर बढ़ती लागत को देखते हुए मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब के समर्थन मूल्य में भी उचित वृद्धि की जाएं। महोदय, प्रदेश सरकार के पास एमआईएस के तहत गत तीन वर्षों की बाग़वानों की ₹24.40 करोड़ से अधिक की बकाया राशि लंम्बित पड़ी हैं। इसी प्रकार पिछले वर्ष 2021 में सरकार ने एमआईएस के तहत बाग़वानों से 70 हज़ार मीट्रिक टन सेब की ख़रीद की हैं। महोदय, लगातार बढ़ती लागत के चलते बाग़वानी उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा हैं। मेरा आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से अनुरोध हैं कि एमआईएस की बक़ाया राशि को अविलंब ज़ारी कर बाग़वानों को राहत दी जाए।
5. प्राकृतिक आपदा से राहत ,बीमा योजना को व्यवहारिक बनाया जाए व राहत नियमावली में संशोधन कर राहत राशि में वृद्धि हो:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, गत वर्ष 2021 में सेब बाहुलीय क्षेत्रों में बेमौसमी बर्फबारी और ओलावृष्टि से बाग़वानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। प्रदेश सरकार के अनुमान के अनुसार ₹ 284 करोड का नुकसान का आंकलन किया था और अब एक वर्ष बीत जाने के बाद सरकार से बागवानों को कोई राहत नही मिली हैं। महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा कारगर सिद्ध नही हो पाई। बैंक किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से हर वर्ष किसानों से इंश्योरेंस के रूप में कंपनियों के लिए बाग़वानों से हज़ारों रुपए का प्रीमियम वसूल रहें हैं जबकि कंपनियां ओलावृष्टि, तूफ़ान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वालें नुक़सान से कोई राहत नहीं देती।
महामहिम राज्यपाल महोदय, प्रदेश में आपदा राहत नियमावली में प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुक़सान की राहत राशि नाममात्र हैं, जिसे मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बढ़ाया जाना चाहिए। मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध हैं कि बाग़वानों की प्राकृतिक आपदा से हुए नुक़सान की भरपाई की जाए, प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को व्यवहारिक बनाया जाए व प्रदेश सरकार आपदा राहत नियमावली में संशोधन कर राहत राशि मे उचित वृद्धि करें।
6. कछुआ चाल से चले हुए बाग़वानी विकास प्रोजेक्ट में गति लाई जाए:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, पूर्व कांग्रेस सरकार के अथक प्रयासों से बाग़वानी क्षेत्र के विकास के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ₹1134 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट की सौगात हिमाचल प्रदेश को मिली जिसका शुभारंभ 21 जून, 2016 को किया गया। प्रदेश सरकार की विरोधाभास नीतियों के चलते बाग़वानी विकास प्रोजेक्ट कछुआ चाल से चला हुआ हैं। महोदय, 2016 में शुरू हुआ बाग़वानी विकास प्रोजेक्ट 2023 में ख़त्म होना हैं। प्रदेश सरकार अभी तक इस प्रोजेक्ट में मात्र ₹555 करोड़ की ख़र्च पाई हैं जो कि स्वीकृत बजट का 50% प्रतिशत हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय, मेरा आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से आग्रह हैं कि बाग़वानी विकास प्रोजेक्ट में तेज़ी लाई जाए ताकि प्रोजेक्ट समयबद्ध तऱीके से पूरा हो सकें।
7. बाग़वानी विभाग में रिक्त पड़े पदों को भरा जाए:-
बाग़वानी विभाग में बाग़वानी विकास अधिकारी के 264 स्वीकृत पदों में 152 पद, बाग़वानी विस्तार अधिकारी के 512 स्वीकृत पदों में 138 पद रिक्त चल रहे हैं। जिला शिमला में बाग़वानी विकास अधिकारी के 28, बाग़वानी विस्तार अधिकारी के 16 पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार बाग़वानी विभाग में कुल 2432 स्वीकृत पदों में 1512 पद भरें गए हैं जबकि 920 पद रिक्त पड़े हैं जो कि 40% हैं । महोदय, मेरी आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से मांग हैं कि बाग़वानी विभाग में रिक्त पड़े विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पड़े बाग़वानी विकास अधिकारी,बाग़वानी विस्तार अधिकारी व विभिन्न श्रेणियों के पदों को भरा जाएं।
8. खाद उचित दामों पर उपलब्ध करवाई जाए:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, सेब बाग़वानी में उपयोग होने वाली खाद NPK 12-32-16 और NPK 15-15-15 प्रति बैग खाद में केंद्र सरकार ने 21% से 32% की वृद्धि कर दी जबकि पोटाश के दाम तो दोगुने हो चुके हैं । इसी प्रकार प्रदेश में कृषि-बाग़वानी क्षेत्र में उपयोग होने वाली कैल्शियम नाइट्रेट और NPK 15-15-15 , NPK 12-32-16 खाद की भारी कमी हैं। किसान-बाग़वान पिछले कई महीनों से हिम्फेड़ व एचपीएमसी के गोदामों के चक्कर काट रहें हैं लेक़िन अभी तक सरकार खाद उपलब्ध करवाने में नाकामयाब रही हैं। कैल्शियम नाइट्रेट और NPK 15-15-15 छोटे पेड़ों के बढ़ने और उनके उपचार क्षमता को बढ़ाती है। प्रदेश को खाद की सप्लाई ना मिलने से सेब बहुलीय इलाक़ो में खाद की भारी कमी हैं। मेरा आपके माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध हैं कि उचित दाम पर खाद उपलब्ध करवाई जाए तथा प्रदेश में मांग अनुरूप खाद उपलब्ध करवाई जाए।
9. एंटी हेल नेट, बाग़वानी व कृषि औज़ारों पर अनुदान राशि ज़ारी की जाए:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, प्रदेश सरकार के पास किसानों-बागवानों की एंटी हेल नेट व बाग़वानी व कृषि औज़ारों पर मिलने वाली सब्सिडी के हज़ारो केस वर्षो से लम्बित पड़े हैं जिसमे अकेले जिला शिमला के ही 9893 केस हैं। महोदय, मेरा आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से अनुरोध हैं कि एंटी हेल नेट, बाग़वानी व कृषि औज़ारों पर लंबित पड़ी अनुदान राशि का भुगतान किया जाए।
10. जिला शिमला में बाग़वानी कॉलेज खोला जाए:-
प्रदेश में बाग़वानी के क्षेत्र में 70% फलों का उत्पादन शिमला ज़िलें में होता हैं। सेब की बाग़वानी में ऊपरी शिमला में प्रगति हुई हैं। बाग़वानी को ढांचे को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए शिमला ज़िला में बाग़वानी कॉलेज होना अति आवश्यक हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय, मेरा आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से अनुरोध हैं कि जिला शिमला में बाग़वानी कॉलेज खोला जाएं।
11. सीज़न से पहले सड़कों को सुधारा जाए:-
महामहिम राज्यपाल महोदय, हिमाचल निर्माता व पूर्व मुख्यमंत्री डा० यशवंत सिंह ने परमार प्रदेशन का मानना था कि सड़के क्षेत्र की तरक्की के लिए भाग्य रेखाएं होती हैं। ज़िला शिमला के सेब बहुलीय क्षेत्रों में अधिकतर सड़कों की दुर्दशा बनी हुई हैं। सरकार ने AMP के तहत सड़कों की Retarring के लिए विधानसभा स्तर पर 30 किलोमीटर की सीमा तय की है जो कि बहुत ही कम हैं। कम ऊंचाई वालें इलाक़े में Early Variety का सेब शुरू हो गया हैं और 15 दिनों बाद सेब सीज़न गति पकड़ेगा। महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से मांग करता हूँ कि सेब सीज़न को देखते हुए सड़कों की दुर्दशा को सुधारा जाएं व AMP की सीमा में उचित वृद्धि हो।
महामहिम राज्यपाल महोदय, बाग़वानी क्षेत्र से जुड़े उपरोक्त ज्वलन्त मुद्दों को
देखते हुए यदि समय रहते प्रभावी क़दम न उठाएं गए तो सेब उद्योग संकट में पड़ जाएगा। मेरा आपसे करबद्ध निवेदन हैं कि बाग़वानों की आजीविका सेब उद्योग की समस्याओं के समाधान के लिए हस्तक्षेप करें।
धन्यवाद।
आदर सहित
रोहित ठाकुर
विधायक जुब्बल नावर कोटखाई
दिनांक 20 जून, 2022