एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल वस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे हिमाचल गौरव पुरस्कार पर सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि भाषा एवं संस्कृति विभाग की चयन कमेटी पर कि आखिर विभाग ने अपने ही विभाग के कर्मचारी अधिकासरी को हिमाचल गौरव पुरस्कार के लिए कैसे नामित कर दिया जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता।
सूत्रों के अनुसार भाषा संस्कृति विभाग के एक अधिकारी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने अपना ही नाम हिमाचल गौरव पुरस्कार के लिए नामित करवा दिया। लिस्ट फाइनल हो चुकी है और यह पुरस्कार उन्हें मुख्यमंत्री के हाथों हिमाचल दिवस के अवसर पर प्रदान किया जाएगा ।
गौरतलब रहे कि नियमानुसार हिमाचल गौरव पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उस लेखक/ कवि/ साहित्यकार को दिया जाता है जिसे साहित्य अकादमी, हिमाचल भाषा एवं संस्कृति अकादमी पुरस्कार मिला हो या जिसने कई पुस्तकें लिखी हो साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में शोध कार्य किए हो।
हिमाचल प्रदेश में अनगिनत साहित्यकार हैं जिन्होंने सैंकड़ों पुस्तकें लिखी हैं और शोध कार्य किए हैं। कई साहित्यकारों को साहित्य अकादमी दिल्ली व भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश से पुरस्कार मिल चुके हैं ।
लेकिन इसके विपरीत मात्र एक या दो किताबें लिखने वाले को इस सम्मानित पुरस्कार के लिए चयनित करना उन सभी साहित्यकारों को हाशिए पर धकेलना है जिन्होंने अपना जीवन साहित्य के लिए ही समर्पित किया हो।
सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार भाषा एवं संस्कृति विभाग या सचिवालय स्थित विभाग की शाखा में कार्यरत किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को सम्बंधित पुरस्कार के लिए न तो विचार किया जाता है और न ही नामित किया जा सकता है तो फिर क्या व्यक्ति विशेष के लिए नियम बदल दिए हैं या फिर चयन कमेटी के समक्ष सही तथ्य पेश नहीं किए गए हैं, ये विभाग को देखना होगा।
जानकारों का कहना है कि प्रदेश सरकार का हिमाचल गौरव पुरस्कार एक सम्मानित और गौरवपूर्ण पुरस्कार है । यह पुरस्कार उस साहित्यकार को मिलना चाहिए जिसने कई पुस्तकें लिखी हो और शोधकार्य किए हों न कि एक या दो पुस्तक के लेखक की।
नाम न छापने की शर्त पर साहित्यकारों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग की स्थिति ये है कि “अंधा बांटे रेवड़ी, मुड़ मुड़ अपनों को ही दे”. पुरस्कार केवल जुगाड पर ही दिए जा रहे हैं, काबिलियत और पात्रता कौन देखता है, नियम को तो ठेंगा दिखाना आदत बन गई है। जो सवाल उठाता है, उसे कई तरह से किनारे लगाने के प्रयास होते हैं।
जल्द ही इस बारे में मुख्यमंत्री से मिलेंगे।
हालांकि पुरस्कार चीन के लिए GAD की और से एक कमेटी का गठन किया जाता है जिसमें इच्छुक आवेदन करते हैं। ये आवेदन पिछली सरकार में किए गए थे। लेकिन नोडल एजेंसी के तौर पर भाषा एवम् संस्कृति विभाग ही संबंधित साहित्यकार का नाम संस्तुति के लिए भेजता है।
उधर, इस पूरे मामले पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए कई बार भाषा एवम् संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित से उनके कार्यालय और मोबाईल नंबर पर संपर्क किया लेकिन कई बार प्रयास करने पर भी फोन नहीं उठाया।