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संयुक्त किसान मंच ने कहा-बागवानों से ‘अडानी’ की मनमानी व शोषण न रूका तो इसके विरुद्ध होगा आंदोलन

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एप्पल न्यूज़, शिमला
संयुक्त किसान मंच का मानना है कि अडानी एग्रीफ्रेश लिमिटेड के द्वारा वर्ष 2023 के लिए जो सेब की खरीद का मुल्य तय किया गया है वह इस वर्ष जो मंडियों में बागवानों को दाम मिल रहे हैं उससे बहुत ही कम है तथा इसे बिलकुल भी जायज नहीं है ठहराया जा सकता है।

मंच मांग करता है कि सरकार तुरन्त हस्तक्षेप कर अडानी एग्रीफ्रेश के प्रबंधन को बुलाए तथा सेब खरीद का मुल्य मंड़ियों में मिल रहे दाम के अनुसार तय करने के निर्देश जारी करे।

सह संयोजक संयोजक संजय चौहान व हरीश चौहान ने कहा कि यदि अडानी तुरन्त सेब की खरीद मुल्य में बढ़ौतरी नहीं करता तो मंच बागवानों को संगठित कर अडानी की इस मनमानी व शोषण के विरुद्ध आंदोलन करेगा।
इस वर्ष अडानी एग्रीफ्रेश ने प्रीमियम ग्रेड के सेब(80-100% रंग) का भाव 95- 60 रुपए प्रति किलो, सुप्रीम ग्रेड के सेब(60-80% रंग) का भाव 75-40 रुपए प्रति किलो तथा न्यूनतम भाव 20 रुपए प्रति किलो तक तय किए गए है। जबकि बागवानों को आज सभी मंडियों मे प्रीमियम ग्रेड सेब के दाम 150-160 रुपए प्रति किलो तथा सुप्रीम ग्रेड के सेब के दाम 75-95 रुपए तथा हल्के ग्रेड के सेब के न्यूनतम दाम भी 35-50 रुपए प्रति किलो तक मिल रहे है।

यही सेब अडानी अपने रिटेल स्टोर में 250 रूपये से 400 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है।

यदि पूर्व के अनुभव देखे तो जब अडानी द्वारा कम दाम की घोषणा की जाती है इससे मंडियों में भी इसका असर पड़ता है तथा मंडियों में भाव गिरता है।
संयुक्त किसान मंच पहले से ही मांग कर रहा है कि प्रदेश मे अडानी व अन्य कंपनियों के द्वारा करोड़ो रूपए की भारी सब्सिडी प्राप्त करने के बावजूद बागवानों से सेब खरीद के लिए जिस तरह से मनमानी की जा रही है उसकी जांच के लिए बागवानी सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाए।

जिसमें बागवानों के प्रतिनिधि के साथ बागवानी, आर्थिकी व कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए। यह कमेटी अडानी व अन्य कंपनियों के साथ किए गए करार की समीक्षा कर इनके कारोबार की शर्तो को नए रुप से तय की जाए ताकि बागवानों के हितों की रक्षा की जाए।

गत वर्ष भी संयुक्त किसान मंच के आंदोलन के बाद पूर्व सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था परन्तु वह अपना कार्य पूर्ण नही कर पाई।
सरकार तुरन्त अडानी व अन्य कंपनियों के द्वारा बागवानों के शोषण पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करे। अन्यथा मंच बागवानों को संगठित कर अडानी व कंपनियो के द्वारा की जा रही इस लूट पर रोक के लिए आंदोलन करेगा।

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