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सुक्खू सरकार की गलत नीतियों से उद्योगों का हुआ पलायन, काम करने वाले युवा हुए बेरोजगार- बिक्रम ठाकुर

बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क भी ठंडे बस्ते में

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश में पिछले 16 महीने से कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में कार्यरत उद्योग और बड़े-छोटे इंडस्ट्रीज़ के लिए जिस प्रकार की परिस्थितियां सरकार ने बनाई है उस कारण से लगातार इंडस्ट्रीज यहाँ से जा रही है।

पूर्व उद्योग मंत्री व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र प्रभारी बिक्रम ठाकुर ने शिमला में आयोजित पै्रस वार्ता में कहा कि पिछले पांच वर्षों में जयराम ठाकुर की सरकार थी और उस सरकार के समय में केंद्र सरकार से मिलकर जो बड़ी बड़ी योजनाएं लेकर हम लोग आये थे, आज वो सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई हैं।

उन्हांने सुक्खू सरकार पर आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की उद्योगनीति सहीं नहीं हैं जिसके कारण हिमाचल से उद्योगों का पलायन हुआ हैं। 

उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री स्वाबलंबन योजना का गला घोटने का कार्य इस सरकार ने किया हैं। इस योजना के कारण से बहुत बड़ा काम पिछली सरकार के समय में हुआ। जिससे नौजवान 1 करोड़ रूपये तक के प्रोजेक्ट लगवा सकते थे।

लगभग 4228 यूनिट नए लगे और 200 करोड़ रूपये की सब्सिडी रिलीज़ की गई थी, परन्तु आज स्थिति यह है कि मुख्यंमत्री स्वाबलंबन योजना को इस सरकार ने समाप्त कर दिया हैं और 200 करोड़ रूपये की देनदारी लंबित हैं। जिसमें ऊना के 150 के लगभग केसिस पेंडिंग पड़े हैं।

8 करोड़ रूपये की सब्सिडी नौजवान बच्चों की फंसी हुई है। इसी प्रकार से कांगड़ा के अंदर 320 केसिस पेंडिग है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी योजना थी जिसके कारण हर व्यक्ति, नौजवान को अपने पैरों पे खड़ा हो सकता था और बड़े दुख की बात यह है कि सरकार की नाकामियों और नालायकियां के कारण ये योजनाएं बंद हो गई है। 

पूर्व उद्योग मंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार की योजनाएं और प्रोग्राम इंडस्ट्रीज के लिए दिए हैं उसके कारण से इंडस्ट्री बैकफुट पर चली गयी हैं। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार के समय बड़े-बड़े प्रोजेक्ट हिमाचल को मिले जिसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को 2022 में 1923 करोड़ रूपये का बल्क ड्रग पार्क स्वीकृत किया गया।

जयराम ठाकुर की सरकार के समय 225 करोड़ रूपये बल्क ड्रग पार्क के लिए जारी भी कर दिए गए थे। उस समय 1405 एकड़ जमीन इसके लिए निर्धारित की गयी, लेकिन आज 16 महीने बीत जाने के बाद भी कोई फाइनेंशियल इनवेस्टर इनके पास फाइनल नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज यह स्थिति है कि हिमाचल में विकास विरोधी और विज़न विहीन सरकार चल रही हैं। जिसका परिणामस्वरूप इन बड़े प्रोजेक्टों के प्रति सरकार उदासीन है। इसके लिए सरकार के पास कोई भी क्लिअर कट मैप नहीं है की इस प्रोजेक्ट को किस प्रकार से पूरा किया जाए। 

फरवरी 2021 में दूसरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट 350 करोड़ रूपये का मेडिकल डिवाइस पार्क लागाया गया था उसमें 100 करोड़ रूपये गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से मिलना था, 250 करोड़ रूपये का शेयर और जमीन तथा अन्य प्रकार के खर्च हिमाचल प्रदेश सरकार ने देना था लगभग 30 करोड़ रूपये केन्द्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए दिया और 70 करोड़ रूपये कार्य शुरू होने पर केन्द्र से मिलने थे।

लेकिन 16 महीने का समय बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार का काम नहीं हुआ। जिन ठेकेदारों ने वहाँ पर काम किया उन ठेकेदारों को पेमेंट नहीं दी जा रही है उन ठेकेदारों ने सरकार को लीगल नोटिस दे दिया।

यह बड़े दुख का विषय है कि दो बड़े प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश में, जिसके कारण से हिमाचल प्रदेश का नौजवान अपने पैरों पे खड़ा होता, हिमाचल प्रदेश के अंदर इंडस्ट्रीयल ग्रोथ पिछले पांच वर्षों में चल रही थी उसको पूर्ण रूप से इस सरकार ने रोक दिया है। 

उन्होंने कहा कि अगर यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश में लगते तो हजारों नौजवानो को रोजगार मिलना था, परन्तु प्रदेश सरकार का जो दृष्टिकोण हैं उससे ऐसा लगता है कि कहीं भविष्य में हमें ऐसा न सुनना पड़ कि बल्क ड्रग पार्क हिमाचल प्रदेश से चला न जाएं, जिससे हिमाचल प्रदेश को बहुत बड़ा नुकसान होगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिकल ड्यूटी की राहत को बंद कर दिया है। नई इंडस्ट्री और एक्स्पैन्शन यूनिट्स थे, उनके लिए भी उसको बंद कर दिया। बिजली की दरें बाकी राज्यों से ज्यादा है।

सबसे महंगी बिजली आज हिमाचल प्रदेश को मिल रही है और इलेक्ट्रिकल ड्यूटी हाइएस्ट इन दी कंट्री और उसके साथ-साथ जो इंडस्ट्री हिमाचल में आती है ऐसी इंडस्ट्रीज को प्रदेश 99 साल की लीज पर देता था, परन्तु इस सरकार ने इंडस्ट्रीज लगाने वालों की लीज़ को 99 साल से घटाकर 40 साल कर दिया।

आज आलम यह है कि 118 की फाइलें बंद ताले में पड़ी हुई है। उसकी चाबी किसके पास हैं? उसको किस प्रकार से उन को निकालने के लिए उद्योगपतियों को किस किस सिस्टम से गुजरना पड़ता है। ये भी एक बहुत बड़े दुख का विषय है।

सिंगल विंडो के नाम पर केस आता था तो सभी एनओसी साफ हो जाती थी, परन्तु आज एनओसी लेने के लिए उद्योगपतियों को जगह-जगह जाना पड़ रहा है। जिसके कारण हिमाचल प्रदेश से उद्योंगो का जाना शुरू हो गया है।

आज यह उद्योग जिनमें प्रमुख हिंदुस्तान यूनिलीवर, सर्वोत्तम रेमडीज, माइक्रो लिमिटेड, जैविक क्लास फॉर्मर प्राइवेट लिमिटेड बंद हो गई है। इसी प्रकार बड़ी मल्टीनैशनल कंपनीज जिसमें कॉल ग्रीनलैंड़ इंडस्ट्रीज, बार फ्लैक््स, ग्रेस फेट्स इंडस्ट्रीज ने हिमाचल प्रदेश में काम करने के बोलिंयों को कम कर दिया हैं और छटनी शुरू कर दी है। 

उन्हांने सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले 16 महीने के अंदर हिमाचल प्रदेश में खास करके बद्दी और नालागढ़ में माफियाराज  पनपा है। हिमाचल प्रदेश के बड़े-बड़े नेता उन नेताओं ने केवल और केवल स्क्रैप के नाम पर इंडस्ट्रीज को सिर्फ डराया और धमकाया हैं जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में इंडस्ट्रीज बुरी तरह से दुखी हैं।

एक अच्छा वातावरण जो पिछले पांच वर्षों में यहाँ से मिला था उस वातावरण के विपरित जिस प्रकार से डर, माफियाराज, गुंडागर्दी का माहौल है हर चौथे दिन स्क्रैप के चक्कर में वहां पर मर्डर हो रहे हैं।

  इन सभी विषयों के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार दोषी है और जो वातावरण आज इंडस्ट्रियल क्षेत्र के अंदर हिमाचल प्रदेश में बना है, उसके कारण नौजवान, बेरोजगार दुखी है और आने वाले लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर से इन सारी बातों का खामियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ेगा।

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