एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश में परिवहन व्यवस्था को आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) इस वर्ष के अंत तक 1,000 पुरानी बसों को चरणबद्ध तरीके से बदलकर उनकी जगह नई बसें खरीदेगा।
इनमें से 600 बसों की खरीद के लिए पहले ही ऑर्डर जारी किया जा चुका है, जिसमें 327 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं।
यह जानकारी उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान दी। उन्होंने बताया कि सरकार 1,500 इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की योजना बना रही है, जिसे विभिन्न चरणों में पूरा किया जाएगा।

हिमाचल सरकार का यह निर्णय प्रदेश की परिवहन व्यवस्था में बड़ा सुधार लाने की दिशा में अहम कदम है। इलेक्ट्रिक बसों के आने से जहां पर्यावरण प्रदूषण कम होगा, वहीं लोगों को आधुनिक, आरामदायक और टिकाऊ परिवहन सेवाएं मिलेंगी।
हालांकि, इन बसों की ऊंची कीमत, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और केंद्र सरकार की सख्त नीतियां कुछ चुनौतियां पेश कर रही हैं।
बावजूद इसके, प्रदेश सरकार ने एचआरटीसी को मजबूत करने और जनता को बेहतर सुविधाएं देने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
1. नई बसों की खरीद और योजनाएं
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि एचआरटीसी का बेड़ा (फ्लीट) बदलने के लिए चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक बसों की खरीद की जा रही है। वर्तमान में 327 इलेक्ट्रिक बसों का ऑर्डर जारी किया गया है। हालांकि, इन्हें डिलीवर करने के लिए बस निर्माण कंपनी ने 11 महीने का समय मांगा है।
बसों की खरीद और उनके रखरखाव को लेकर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- इलेक्ट्रिक बसों की लागत प्रति बस लगभग 1.25 करोड़ रुपये होगी।
- इन बसों के रखरखाव के लिए अगले 10 वर्षों तक वही कंपनी जिम्मेदार रहेगी, जो इन्हें सप्लाई कर रही है।
- डीजल बसों की खरीद भी जारी रहेगी, एचआरटीसी अपने स्तर पर 250 डीजल बसें खरीदेगा।
- पहाड़ी और दूरदराज़ के क्षेत्रों के लिए 100 टैंपो ट्रैवलर खरीदे जाएंगे।
2. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और फंडिंग
इलेक्ट्रिक बसों को सुचारू रूप से चलाने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना जरूरी है। इसके लिए:
- चार्जिंग स्टेशन तैयार करने के लिए 110 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
- पेट्रोलियम कंपनियों से भी चर्चा चल रही है ताकि वे चार्जिंग स्टेशन तैयार करने में योगदान दें।
- नाबार्ड (NABARD) से भी मदद ली जा रही है, ताकि इलेक्ट्रिक बसों की खरीद और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध हो सके।
3. केंद्र सरकार से मतभेद: बसों में बदलाव की अनुमति नहीं
प्रदेश सरकार ने हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार टाइप-2 इलेक्ट्रिक बसों में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन केंद्र सरकार ने इस बदलाव की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस मुद्दे को केंद्रीय मंत्री के सामने भी उठाया, लेकिन उन्हें साफ जवाब मिला कि राज्य सरकारों को बसों के डिजाइन में बदलाव करने की अनुमति नहीं है।
4. आर्थिक बोझ और एचआरटीसी की स्थिति
विधानसभा में जब विधायक रणधीर शर्मा ने पूछा कि क्या एचआरटीसी इस आर्थिक बोझ को वहन कर पाएगा और डीजल बसों की तुलना में इलेक्ट्रिक बसों से कितना अतिरिक्त खर्च पड़ेगा, तो उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया:
- इलेक्ट्रिक बसें महंगी हैं, और एचआरटीसी के लिए उन्हें अपने स्तर पर खरीद पाना संभव नहीं है।
- राज्य सरकार बसों की खरीद के लिए आर्थिक सहायता दे रही है।
- नई बसों का वितरण संतुलित तरीके से सभी विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा।
5. परिवहन सुधार और जनजातीय क्षेत्र पर ध्यान
उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि एचआरटीसी प्रदेश के दूरदराज और जनजातीय इलाकों में भी नई बसें उपलब्ध करवा रहा है।
- 100 नई टैंपो ट्रैवलर जनजातीय क्षेत्रों के लिए खरीदी जाएंगी, ताकि उन इलाकों में भी सुचारू परिवहन व्यवस्था हो।
- नई बसों को हर विधानसभा क्षेत्र में संतुलित रूप से वितरित किया जाएगा, ताकि सभी नागरिकों को बेहतर बस सेवाएं मिल सकें।