“जंगली मुर्गा कांड”- पत्रकारों व संस्थानों पर FIR, “फ़ेक मेन्यू” वायरल करने का आरोप

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश में “जंगली मुर्गा कांड” नाम से चर्चित यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस सरकार ने कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर उस ‘फेक मेन्यू’ को सोशल मीडिया पर वायरल करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की है, जिसमें शिमला जिला के कुपवी में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के भोजन मेन्यू में जंगली मुर्गे का उल्लेख किया गया था।

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वायरल मेन्यू फर्जी था, और इसका उद्देश्य सरकार की छवि खराब करना और गलत जानकारी फैलाना था।

भाजपा और मीडिया की प्रतिक्रिया

इस कार्रवाई पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता चेतन सिंह बरागटा ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया और कहा कि सरकार आलोचनाओं से बचने के लिए मीडिया को निशाना बना रही है।

उन्होंने कहा, “यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। कांग्रेस सरकार मीडिया और विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है।”

मीडिया ने भी एफआईआर को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरा बताया है। पत्रकारों ने कहा है कि यदि मेन्यू फर्जी था, तो सरकार को पहले इसे खारिज करना चाहिए था, न कि एफआईआर दर्ज कर डराने-धमकाने की रणनीति अपनानी चाहिए।

सोशल मीडिया पर बवाल

वायरल मेन्यू को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे मजाक के तौर पर देख रहे हैं, जबकि सरकार समर्थक इसे साजिश करार दे रहे हैं। वहीं, विपक्ष इस मामले को उठाकर सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है।

क्या है पूरा मामला?

मामला तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर एक ऐसा मेन्यू वायरल हुआ, जिसमें जंगली मुर्गे की डिश शामिल होने का दावा किया गया था। इसे लेकर सरकार पर चुटकी ली गई और कई बड़े मीडिया हाउस और पत्रकारों ने इसे रिपोर्ट किया। बाद में सरकार ने इसे फर्जी बताया।

मामले का राजनीतिकरण

यह मामला अब केवल फर्जी मेन्यू तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक रूप ले चुका है। विपक्ष इसे सरकार की असहिष्णुता और तानाशाही रवैये के प्रतीक के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सरकार इसे गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ जरूरी कदम बता रही है।

आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी और तेज होने की संभावना है।

कांग्रेस सरकार का जंगली मुर्गा प्रकरण में एफआईआर दर्ज करना तर्कसंगत नहीं

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन सिंह बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जंगली मुर्गा प्रकरण को लेकर एफआईआर दर्ज करना न केवल तर्कहीन है, बल्कि यह कांग्रेस सरकार की राजनीति से प्रेरित मंशा को भी उजागर करता है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जानबूझकर भाजपा के बड़े नेताओं और प्रदेश के प्रतिष्ठित मीडिया हाउस को निशाना बना रही है। यह कार्रवाई लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, जिसकी भाजपा कड़े शब्दों में निंदा करती है।

चेतन सिंह बरागटा ने कहा कि कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से बड़े नेताओं और मीडिया हाउस पर एफआईआर दर्ज कर उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया है।

यह कदम स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि कांग्रेस सरकार असहज सवालों और आलोचनाओं का सामना करने में अक्षम है।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले समोसे की सीआईडी जांच करवाई और अब जंगली मुर्गा प्रकरण में एफआईआर दर्ज कर दी है।

ये घटनाएं प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं और गंभीरता पर सवाल उठाती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार जनता की समस्याओं को हल करने की बजाय इस तरह के तुच्छ मामलों में उलझी हुई है।

प्रदेश भाजपा इस पूरे मामले की कड़ी निंदा करती है और सरकार को चेतावनी देती है कि लोकतांत्रिक संस्थानों की आवाज दबाने का हर प्रयास विफल होगा। जनता सब देख रही है और समय आने पर इसका जवाब भी देगी।

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