टॉयलेट टैक्स- शिमला में “शौच” जाने के लिए महिला- पुरुष दोनों को चुकाना होगा “शुल्क”

एप्पल न्यूज, शिमला

शिमला नगर निगम ने सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव और संचालन के लिए शुल्क वसूली की योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य शौचालयों की स्वच्छता और उनके समुचित रखरखाव के लिए आवश्यक धनराशि एकत्रित करना है।

शहर के लगभग 30 मुख्य शौचालयों पर यह व्यवस्था लागू होगी, जहां लोगों की आवाजाही अधिक है। इस निर्णय से शिमला प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन जाएगा जो सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग के लिए शुल्क वसूलेगा।

इस योजना के तहत, महिलाओं और पुरुषों दोनों को सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने के लिए प्रति बार पांच रुपए शुल्क देना होगा।

वहीं, शहर के व्यापारियों के लिए विशेष मासिक पास का प्रावधान किया गया है, जिसके लिए उन्हें 150 रुपए शुल्क देना होगा। यह पास व्यापारियों और उनके सेल्समैन को एक महीने तक सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने की अनुमति देगा।

नगर निगम का तर्क है कि यह “टॉयलेट टैक्स” नहीं है, बल्कि शौचालयों की मेंटेनेंस के लिए आवश्यक फंडिंग है। इस शुल्क से निगम को सुलभ इंटरनेशनल द्वारा संचालित शौचालयों के संचालन के लिए हर महीने दिए जाने वाले 2.44 लाख रुपए की राशि को आंशिक रूप से कवर करने में मदद मिलेगी।

इस निर्णय का एक सकारात्मक पहलू यह है कि महिला और पुरुष उपयोगकर्ताओं के बीच शुल्क में भेदभाव नहीं किया गया है। इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।

साथ ही, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए शौचालयों के बाहर यूपीआई पेमेंट के लिए क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। यह कदम डिजिटल इंडिया मिशन के तहत एक आधुनिक और सुविधाजनक विकल्प प्रदान करता है।

हालांकि, इस योजना के साथ कुछ चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि शुल्क वसूली से शहर के गरीब और निम्न-आय वर्ग पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ सकता है।

ऐसे लोग, जो पहले से ही अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में संघर्ष कर रहे हैं, के लिए यह नया शुल्क वित्तीय बोझ साबित हो सकता है।

इसके अलावा, सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग पर शुल्क लगाने से कुछ लोग अस्वास्थ्यकर विकल्पों की ओर जा सकते हैं, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

साथ ही, इस प्रणाली को लागू करने के लिए पारदर्शिता और उचित निगरानी बेहद महत्वपूर्ण होगी। शौचालयों की स्थिति और उनकी सफाई को नियमित रूप से जांचने की जरूरत होगी, ताकि वसूले गए शुल्क का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

यदि शुल्क वसूली के बावजूद शौचालय गंदे और अव्यवस्थित रहते हैं, तो यह योजना विफल हो सकती है और जनता का असंतोष बढ़ सकता है।

व्यापारियों के लिए मासिक पास का प्रावधान एक व्यावहारिक कदम है, जिससे वे बार-बार भुगतान किए बिना सुविधा का लाभ उठा सकें। हालांकि, यह सुनिश्चित करना होगा कि इस पास का दुरुपयोग न हो।

कुल मिलाकर, यह योजना शिमला के सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम है।

लेकिन इसे सफल बनाने के लिए उचित प्रबंधन, निगरानी और जनता को जागरूक करने की आवश्यकता होगी। इससे शिमला को एक स्वच्छ और व्यवस्थित शहर के रूप में विकसित करने में मदद मिल सकती है।

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