एप्पल न्यूज, कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए विजिलेंस विभाग लगातार सक्रिय है। हाल ही में विजिलेंस धर्मशाला की टीम ने परागपुर के खंड विकास अधिकारी (BDO) वीरेंद्र कुमार कौशल को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
यह मामला तब सामने आया जब कड़ोआ पंचायत की प्रधान रीना देवी ने विजिलेंस को शिकायत दी कि बीडीओ पंचायत के विकास कार्यों के लिए जारी की गई ₹1.5 लाख की सरकारी धनराशि को रिलीज करने के बदले रिश्वत मांग रहे थे।

कैसे हुआ पूरा ऑपरेशन?
- शिकायत: कड़ोआ पंचायत की प्रधान रीना देवी ने विजिलेंस विभाग से संपर्क किया और रिश्वत मांगे जाने की जानकारी दी।
- प्लानिंग: विजिलेंस ने शिकायत की पुष्टि के बाद बीडीओ को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया।
- गिरफ्तारी: बीडीओ वीरेंद्र कौशल को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
- प्रथम दृष्टया प्रमाण: आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस टीम अब वीरेंद्र कौशल की आय और संपत्ति की भी जांच कर सकती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करके अवैध रूप से संपत्ति तो नहीं बनाई।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और सरकारी विभागों में चर्चा तेज हो गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि एक वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो निचले स्तर के कर्मचारियों की स्थिति क्या होगी?
इस मामले ने यह भी उजागर किया है कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ गिरफ्तारियां ही नहीं, बल्कि सख्त प्रशासनिक सुधारों की भी जरूरत है।
कौन हैं वीरेंद्र कुमार कौशल?
- पद: खंड विकास अधिकारी (BDO), परागपुर
- सेवा अवधि: फरवरी 2023 से फरवरी 2024 तक भी परागपुर में कार्यरत रहे।
- राजनीतिक विवाद: जसवां-परागपुर के विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर ने उन पर कांग्रेस के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाया था।
- स्थानांतरण: इन विवादों के बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया था।
- जनवरी 2025 में पुनः नियुक्ति: उन्हें दोबारा परागपुर में बीडीओ का कार्यभार सौंपा गया।
- सेवानिवृत्ति: अप्रैल 2025 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन रिश्वत मामले में गिरफ्तारी के कारण उनका करियर विवादों में घिर गया।
भ्रष्टाचार: हिमाचल में बड़ा मुद्दा
हिमाचल प्रदेश में सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले अक्सर सामने आते हैं। विकास कार्यों के लिए मिलने वाली राशि के गबन, ठेकेदारों से रिश्वत मांगने और सरकारी अधिकारियों द्वारा पद का दुरुपयोग करने की घटनाएं समय-समय पर उजागर होती रही हैं।
इस मामले में भी यह साफ दिखता है कि कैसे एक अधिकारी अपने सेवाकाल के अंतिम समय में भी रिश्वतखोरी से बाज नहीं आया। यह घटना प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करती है कि आखिर क्यों भ्रष्ट अधिकारी सेवा के अंत तक भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं?
क्या हो सकती हैं अगली कार्रवाई?
- न्यायिक प्रक्रिया: आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई होगी।
- संपत्ति जांच: विजिलेंस विभाग उसकी संपत्तियों की जांच कर सकता है कि कहीं उसने अवैध रूप से संपत्ति तो नहीं बनाई।
- अन्य भ्रष्टाचार मामलों की जांच: हो सकता है कि पूर्व में किए गए अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की भी पड़ताल हो।
- सस्पेंशन और सेवा समाप्ति: चूंकि वे अप्रैल 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले थे, इसलिए यह संभव है कि उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया जाए या उनकी सेवा समाप्त कर दी जाए।
भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की जरूरत
वीरेंद्र कौशल की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार अभी भी एक गंभीर समस्या है। हालाँकि विजिलेंस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए जाते।
इसके लिए सख्त कानून, कड़ी सजा, पारदर्शी प्रशासन और जन-जागरूकता की जरूरत है।