एप्पल न्यूज, शिमला
शिमला में अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में हड़ताल और प्रदर्शन किया। जिला अदालत चक्कर में आयोजित जनरल हाउस में, वकीलों ने इस विधेयक के माध्यम से उनके संवैधानिक अधिकारों को सीमित करने का आरोप लगाया।
विशेष रूप से, धारा 35A के तहत अदालत के कार्य का बहिष्कार करने या उससे दूर रहने के आह्वान पर प्रतिबंध का प्रावधान अधिवक्ताओं में असंतोष का कारण बना है।
इस संदर्भ में, हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल ने 25 फरवरी को शिमला में राज्य के सभी बार काउंसिल अध्यक्षों की बैठक बुलाई है ताकि विधेयक के विरोध में आगामी रणनीति तय की जा सके।
देशभर के अन्य हिस्सों की तरह शिमला में भी अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 (Advocates Amendment Bill 2025) के खिलाफ हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किया।
यह हड़ताल हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल और स्थानीय अधिवक्ता संघों के नेतृत्व में हुई, जिसमें जिला अदालत चक्कर (शिमला) के बाहर भी अधिवक्ताओं ने बिल के खिलाफ नारेबाजी की और विरोध जताया।
अधिवक्ताओं का विरोध क्यों?
इस विधेयक के खिलाफ वकीलों का मुख्य तर्क यह है कि इसके प्रावधान उनके संवैधानिक अधिकारों, विशेष रूप से उनके स्वतंत्र संगठन (Bar Associations) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech & Protest) को सीमित करते हैं।
विवादास्पद प्रावधान: धारा 35A
- इस विधेयक में एक नया प्रावधान धारा 35A जोड़ा गया है, जिसके अनुसार कोई भी अधिवक्ता संघ (Bar Association) या उसका कोई सदस्य व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से अदालत के कार्य का बहिष्कार नहीं कर सकता और न ही अदालत से दूर रहने का आह्वान कर सकता है।
- वकीलों का कहना है कि यह प्रावधान सीधे तौर पर उनके विरोध प्रदर्शन के अधिकार को खत्म करता है और उन्हें न्यायिक मामलों में किसी भी प्रकार के असहमति या असंतोष को प्रकट करने से रोकता है।
- अधिवक्ताओं के अनुसार, यह उनकी स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है और उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है।
शिमला में विरोध प्रदर्शन और आगामी रणनीति
- शिमला में चक्कर जिला अदालत परिसर में अधिवक्ताओं ने एक जनरल हाउस मीटिंग (General House Meeting) की और एकजुट होकर इस बिल का विरोध किया।
- 25 फरवरी 2025 को हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल ने शिमला में राज्य के सभी बार काउंसिल अध्यक्षों की बैठक बुलाई है।
- इस बैठक में अधिवक्ता संगठनों की आगे की रणनीति पर चर्चा होगी और विरोध को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने पर फैसला लिया जा सकता है।
अखिल भारतीय स्तर पर विरोध की स्थिति
- केवल हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में कई बार काउंसिल और अधिवक्ता संघ इस विधेयक के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
- कई बार एसोसिएशनों का कहना है कि यह बिल अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता को सीमित करता है और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करता है।
- देश के प्रमुख बार काउंसिल और अधिवक्ता संगठन इस विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
क्या सरकार इस विरोध पर ध्यान देगी?
- अभी तक केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अगर विरोध तेज होता है, तो सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और अन्य वकील संगठनों के साथ बातचीत करनी पड़ सकती है।
- सरकार यह तर्क दे सकती है कि यह प्रावधान अदालतों के कार्य में व्यवधान को रोकने और न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए लाया गया है।
- अधिवक्ता समुदाय इसे उनके संवैधानिक अधिकारों पर हमला मान रहा है।
- हिमाचल प्रदेश समेत पूरे देश में इस विधेयक के खिलाफ वकीलों में नाराजगी बढ़ रही है।
- अगर सरकार और वकीलों के बीच कोई समझौता नहीं होता, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।
- 25 फरवरी की बैठक इस विरोध की आगे की दिशा तय करेगी।