एप्पल न्यूज, रामपुर बुशहर
हिमाचल प्रदेश में शिमला जिला के रामपुर बुशहर पुलिस उपमंडल के तकलेच क्षेत्र में मुनीश वन बीट में तीन युवकों द्वारा एक संरक्षित वन्यजीव घोरल के अवैध शिकार का मामला सामने आया।
यह घटना राज्य में वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी है और यह दिखाती है कि अवैध शिकार पर निगरानी और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता बनी हुई है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
DFO रामपुर बुशहर गुरहर्ष सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार रात, वन विभाग के गुप्तचरों को जंगल में दो गोलियों की आवाज सुनाई दी, जिससे उन्हें संदेह हुआ कि अवैध शिकार हो सकता है।

तुरंत उन्होंने वन रक्षकों को सतर्क किया। वन रक्षक टीम ने बिना देर किए इलाके में गश्त शुरू की और संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी की।
- वन विभाग को संदेह था कि एक वाहन, जो मुनीश से तकलेच की ओर बढ़ रहा था, उसमें शिकारी सवार हो सकते हैं।
- इस पर वन रक्षकों ने पुलिस को सतर्क कर दिया और वाहन की लोकेशन साझा की।
- पुलिस ने तत्परता से तकलेच पुलिस चौकी के पास वाहन को रोक लिया।
जब पुलिस ने शक के आधार पर वाहन की तलाशी ली तो निम्नलिखित चीजें बरामद हुईं—
- एक मृत घोरल – जो पहले ही मार दिया गया था।
- दो बंदूकें – जो अवैध शिकार में इस्तेमाल हुई थीं।
इसके बाद, पुलिस ने मौके पर ही तीनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया और उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज कर लिया।
इस घटना में भी पुलिस ने आरोपियों की बंदूकें जब्त कर ली हैं और कड़ी कार्रवाई की संभावना है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: क्या कहता है कानून?
भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कई वन्यजीवों को संरक्षित किया गया है। घोरल (Goral) को इस अधिनियम की अनुसूची-I (Schedule I) में शामिल किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह उच्चतम स्तर का संरक्षित जीव है और इसके शिकार पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
अवैध शिकार पर क्या सजा हो सकती है?
- 7 साल तक की कैद – अगर कोई व्यक्ति अनुसूची-I के वन्यजीव का शिकार करता है।
- भारी जुर्माना – हजारों से लेकर लाखों रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- हथियार और वाहन जब्त किए जा सकते हैं – अवैध शिकार में प्रयुक्त वाहन और हथियारों को जब्त कर लिया जाता है।
घोरल: एक दुर्लभ और संरक्षित वन्यजीव
- वैज्ञानिक नाम: Naemorhedus goral
- यह एक जंगली बकरी के समान जानवर है, जो ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है।
- स्थान: यह भारत, नेपाल, भूटान और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।
- घोरल को भारत के IUCN रेड लिस्ट में निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि इसकी संख्या धीरे-धीरे घट रही है।
घोरल का महत्व क्यों है?
- पर्यावरण संतुलन में भूमिका: यह पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अन्य जंगली जानवरों के लिए भोजन का स्रोत भी बनता है।
- शिकार के खतरे में: अवैध शिकार और जंगलों की कटाई के कारण इनकी संख्या कम हो रही है।
- संरक्षण की आवश्यकता: अगर इस प्रजाति का अवैध शिकार जारी रहा तो यह विलुप्त हो सकती है।
वन विभाग की आगामी योजना
इस घटना के बाद, वन विभाग ने ऐलान किया कि—
- हिमाचल प्रदेश के जंगलों में गश्त (Patrolling) बढ़ाई जाएगी।
- अवैध शिकारियों की निगरानी बढ़ेगी।
- स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाएगा ताकि वे वन्यजीव संरक्षण में मदद कर सकें।