एप्पल न्यूज, शिमला
प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में किसानों को नौतोड़ देने का फैसला लिया है जिसके लिए हिमाचल में लागू वन संरक्षण अधिनियम 1980 (एफसीए) को सस्पेंड करने की सिफारिश का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया है।
राज्यपाल ने अभी तक उसे मंजूरी नहीं दी है जिसको लेकर राज्यपाल और राजस्व एवं जनजातीय मंत्री जगत सिंह नेगी के बीच काफी तल्खी भी देखी गई है।
वीरवार को एक बार फिर से जगत सिंह नेगी ने राज्यपाल से मुलाकात कर प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की है।

राज्यपाल से मुलाकात कर जगत सिंह नेगी ने कहा कि नौतोड़ वन भूमि की स्वीकृति देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 5 के चलते राज्यपाल के पास है विशेष अधिकार है ।
लंबे समय से राज्यपाल की स्वीकृति के लिए कई बार संशोधन कर प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा है। छठी बार राज्यपाल से मुलाकात कर नौ तोड़ भूमि देने का मामला उठाया है।
FCA 1980 को कम से कम दो साल के लिए निरस्त किया जाए ताकि प्रदेश के कबायली क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र के युवा पीढ़ी को नौ तोड़ भूमि का लाभ मिल सके।
जनजातीय क्षेत्रों में लोगों के पास जमीन बहुत कम है, जिसके कारण बेरोजगारी बहुत है और लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। सीमावर्ती इलाके अगर खाली हो गए तो चीन को अतिक्रमण करना आसान हो जाएगा।
नौतोड़ नियम के तहत प्रदेश में हजारों किसानों को जमीन दी गई है। 1980 में वन सरंक्षण अधिनियम आने के बाद वन भूमि पर आम लोगों का हक खत्म कर दिया गया।
प्रदेश में लगभग़ 20 हजार मामले अभी भी पुराने शेष पड़े हैं और इसे ज्यादा दस्तावेज बनाकर नए भी तैयार बैठे है क्योंकि जिसकी भूमि 20 बीघा से कम है वह नौ तोड़ भूमि के लिए आवेदन कर सकता है।
वन भूमि पर कोई भी काम करने के लिए अब केंद्र की अनुमति जरूरी कर दी गई है और राज्यपाल के पास भी FCA को सस्पेंड करने का अधिकार है।