एप्पल न्यूज़, पालमपुर
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों का विस्तार और अनुसंधान के लाभ को किसानों तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास करने पर बल दिया। यह बात राज्यपाल ने आज यहां चैधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है, जिसका सीधा संबंध कृषि, बागवानी और खाद्य सुरक्षा से है। उन्होंने कहा कि एक ओर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, रोबोटिक्स, बायो-इंजीनियरिंग और नैनोटेक्नोलाॅजी में हमारे काम और रहन-सहन को पूरी तरह से बदलने की क्षमता है, वहीं दूसरी ओर भविष्य में इसमें चुनौतियों का सामना करने की संभावना भी है परन्तु, यह आज पर निर्भर करता है कि हम कैसा निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यदि नैतिकता के बुनियादी मूल्यों के बिना विज्ञान विकसित होता है, तो हमारा ज्ञान हमें विनाश की ओर ले जाएगा। इसलिए, प्रौद्योगिकी और आध्यात्मिकता में समन्वय लाना सबसे बड़ी चुनौती है।
राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह कौशल विकास और नए कौशल सीखना युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। अनुसंधान विद्वानों का मानना है कि आने वाले तीन दशकों में वर्तमान रोज़गार का 50 प्रतिशत समाप्त हो जाएगा और जो नए अवसर पैदा होंगे उनके लिए नए कौशल की आवश्यकता होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा इन चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करेंगे। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से अपने क्षेत्र में अधिक समर्पण और विकसित कौशल के साथ काम करने का आहवान किया।
श्री दत्तात्रेय ने चिंता व्यक्त की कि कृषि और बागवानी के अधिकांश स्नातक खेत या खेती के काम करने के इच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के छात्रों से बातचीत करने के उपरान्त उनके मन में ऐसी धारणा उत्पन्न हुई, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि एक भी छात्र खेती और बागवानी को नहीं अपनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को युवाओं को कृषि, बागवानी, पशुपालन और उनके संबंधित क्षेत्रों को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी को सहायता के रूप में उन्हें प्रदान करना चाहिए।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2021 तक कृषि विश्वविद्यालय का हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने में विशेष योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय दोगुनी होगी और इनके उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक सिद्ध होंगे। उन्होंने वैज्ञानिकों को गांव और किसानों के साथ जुड़ने का निर्देश दिया और युवा वैज्ञानिकों को अपनी पारंपरिक खेती में अनुसंधान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने माॅडल प्रशिक्षण के साथ महिला किसानों को प्रशिक्षित करने और एक मिशन के रूप में काम करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया के अधिकतम उपयोग पर भी जोर दिया।
इससे पूर्व, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति ए.के. सरयाल ने राज्यपाल का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में विस्तार में जानकारी दी।
सीनेट के सरकारी और गैर-सरकारी सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।