एप्पल न्यूज़, सोलन
कोविड-19 के खतरे के दृष्टिगत देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताओं में जन-जन की आस्था और प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित नियमों के मध्य संतुलन बनाकर सोलन की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी की शोभा यात्रा को निर्विघ्न संपन्न करवाकर जिला प्रशासन सोलन ने सेवा भावना, कर्तव्य परायणता एवं आमजन के विश्वास को बनाए रखने का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
देवभूमि हिमाचल को अपनी देवीय परम्पराओं और देवी-देवताओं में अक्षुण्ण आस्था के लिए जाना जाता है। प्रदेश के हर क्षेत्र में लगभग प्रतिदिन देव आस्था की पुष्टि के लिए कोई न कोई आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों में न केवल क्षेत्र विशेष अपितु आसपास के बड़े सम्भाग की भागीदारी होती है। यह आयोजन जहां आमजन के मेलजोल का कारण बनते हैं वहीं देवभूमि में संस्कृति के प्रचार-प्रसार और आपसी सौहार्द को सुदृढ़ करने का माध्यम भी बनते हैं। जन आस्था का ऐसा ही एक प्रतीक है सोलन का राज्य स्तरीय शूलिनी मेला।
शूलिनी मेले के आयोजन की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। पहले जहां केवल माता की शोभा यात्रा निकाली जाती थी वहीं अब वर्तमान में यह आयोजन पारम्परिक खेलों व संस्कृति के प्रचार-प्रसार का माध्यम बन गया है। परम्परा के अनुसार इस मेले का आयोजन आषाढ़ मास के द्वितीय रविवार को किया जाता है। परम्परा के अनुरूप मां शूलिनी को शोभा यात्रा के रूप में सोलन के गंज बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर में ले जाया जाता है, जहां वे 03 दिन तक निवास करती हैं। ऐसा माना जाता है कि माता यहां अपनी बहन से मिलने आती हैं।
वर्षों से यह आयोजन निरंतर होता रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज से पहले मात्र एक बार वर्ष 1919-20 में प्लेग के कारण नियत समय पर माता की शोभा यात्रा नहीं निकाली गई थी। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण परिस्थितियां वैसी ही उत्पन्न हुई। सोलन निवासियों के आग्रह और प्रदेश सरकार के नियमों के अनुरूप लगभग यह निर्णय ले लिया गया था कि इस वर्ष मां शूलिनी की शोभा यात्रा आयोजित नहीं की जाएगी। किन्तु देव आस्था एवं जनता के विश्वास के दृष्टिगत जिला प्रशासन ने सूक्ष्म रूप में मां शूलिनी की शोभा यात्रा के आयोजन का निर्णय लिया।
जिला दण्डाधिकारी सोलन केसी चमन ने यह सुनिश्चित बनाया कि शोभा यात्रा न केवल सूक्ष्म हो अपितु इस आयोजन में कोविड-19 के दृष्टिगत स्थापित विभिन्न नियमों का पूर्ण पालन हो। इसके लिए उन्होंने मां शूलिनी के कल्याणा वर्ग से बातचीत की और निर्धारित किया कि मां की शोभा यात्रा में इस वर्ष जन सैलाब नहीं होगा। मां शूलिनी मंदिर के पूजारी और कल्याणा वर्ग के चुनिंदा लोगों के साथ-साथ केवल प्रशासन तथा पुलिस के सीमित अधिकारियों को शोभा यात्रा में सम्मिलत होने की अनुमति दी गई।
कोरोना महामारी के मध्य आयोजन को सफल बनाने के लिए जिला दण्डाधिकारी ने मां की शोभा यात्रा के जाने एवं वापिस आने के दिवस पर मात्र 04 घंटे के लिए शहर के उन क्षेत्रों में लाॅकडाउन के आदेश दिए जहां से सामान्य रूप से माता की शोभा यात्रा निकलती है। सोलन की जनता ने इन आदेशों का पूर्ण पालन किया। इससे न केवल शोभा यात्रा आयोजित हो पाई अपितु लोगों की अटूट आस्था भी बरकरार रही।
परम्परा के अनुसार इस वर्ष मां के मेले का आयोजन 19 से 21 जून तक किया जाना था। मेला स्थगित होने के उपरांत मां की सूक्ष्म शोभा यात्रा 19 जून को अपनी बहन से मिलने के लिए तथा 21 जून को वापसी के लिए आयोजित हुई। परम्परा के अनुसार 20 जून रात्रि को अपने गुर के माध्यम मां शूलिनी ने सूक्ष्म आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मेला कबूल किया। इससे समूचे क्षेत्र में प्रसन्नता का माहौल है।
जिला दण्डाधिकारी सोलन केसी चमन ने इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि प्रशासन एवं पुलिस के कर्तव्य पालन तथा समूचे क्षेत्रवासियों के पूर्ण सहयोग के कारण ही शोभा यात्रा निर्विघ्न रूप से संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय ने नियम व शर्तों के साथ ओड़िसा की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी यात्रा के आयोजन को स्वीकृति प्रदान की है उससे जिला प्रशासन को यह सम्बल मिला है कि यदि नियमों के दायरे में रहकर कार्य किया जाए तो सर्वोच्च स्तर पर भी किसी न किसी रूप में उसकी स्वीकृति मिलती ही है। ऐसी स्वीकृति प्रशासन का मनोबल बढ़ाकर जन आस्था को पुष्ट करने में सहायक होती है।
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