एप्पल न्यूज़, सोलन
छात्रों को उद्योग की शिक्षा और उनमें उद्यमिता को बढ़ावा देने की ओर कदम बढ़ाते हुए, डॉ वाई एस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और उद्योग विभाग, हिमाचल प्रदेश ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य विश्वविद्यालय और उद्योग के बीच का संपर्क और बेहतर करना है।
मंगलवार को शिमला में निदेशक उद्योग एच आर शर्मा और नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अंतर्गत दोनों पक्षों के बीच ज्ञान साझाकरण होगा और उद्योग विभाग के विशेषज्ञ नियमित रूप से औद्योगिक नीतियों और योजनाओं से अवगत कराने के लिए संकाय और छात्रों के साथ बातचीत करेंगे।
इस अवसर पर कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि यह समझौता विश्वविद्यालय और उद्योग के बीच संपर्क को बढ़ावा देने की पहल का हिस्सा है। इस समझौता से उद्यमिता, व्यवसाय प्रबंधन, संचार कौशल, व्यक्तित्व विकास, नेतृत्व और कार्यक्रम प्रबंधन आदि विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्यान, गेस्ट लैक्चर और संसाधन व्यक्तियों के माध्यम से सामाजिक और प्रबंधकीय विज्ञान विषयों पर ज्ञान साझा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एमओयू के तहत, विश्वविद्यालय में मौजूदा इंकुबेशन केंद्र को उपकरण के लिए विशेष धनराशि प्रदान करके मजबूत किया जाएगा, जिसका उपयोग छात्रों द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक छात्र को एक स्टार्टअप विचार के लिए नामांकन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उद्योग विभाग, संयुक्त छात्र अनुसंधान परियोजनाओं, प्लेसमेंट आदि के साथ छात्रों की ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करके, प्रबंधन पेशेवरों को विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय का समर्थन करेगा।
फलों, सब्जियों, फूलों कि खेती, मधुमक्खी पालन, मशरूम, डेयरी फार्मिंग, पर्यावरण गुणवत्ता प्रबंधन, खाद्य गुणवत्ता विश्लेषण, औषधीय और सुगंधित पौधे, लकड़ी प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक खेती, मूल्य संवर्धन, कृषि-प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण, नर्सरी उत्पादन, जैव प्रौद्योगिकी आदि में व्यावसायिक अवसरों के लिए औद्योगिक सहयोग दिया जाएगा।
डॉ कौशल ने कहा कि बागवानी, जैव प्रौद्योगिकी और वानिकी के स्नातक छात्रों को राज्य के उद्योगों तक उनकी पहुंच बनाने की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा औद्योगिक समस्याओं को हल करने के लिए विशिष्ट अनुसंधान करने के लिए उद्योगों से छात्रों को प्रायोजक छात्रवृत्ति और वजीफे शुरू करने की दिशा में भी कार्य किया जाएगा।
विश्वविद्यालय से डिप्लोमा / सर्टिफिकेट उत्तीर्ण छात्रों को रोजगार ढूंढने में आसानी होगी। भविष्य में औद्योगिक प्रायोजित प्रमाणपत्र कार्यक्रम शुरू करने का भी प्रावधान किया जाएगा जहां छात्रों, शोधकर्ताओं और उद्यमियों को औद्योगिक सेटअप, प्रयोगशाला और वैश्विक दक्षता के अन्य अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचे से अवगत करवाया जाएगा।