एप्पल न्यूज़, शिमला
बस किराया वृद्धि को लेकर लोगों के साथ साथ कई राजनीतिक संगठन सड़को पर आ गए हैं। बीते दिन हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने 25 प्रतिशत किराये में बढ़ोतरी कर दी है। कोरोना काल में लाखों की संख्या में नौकरी गवां चुके लोगों पर सरकार ने महंगाई का बोझ डाल दिया है। सीटू ने बढ़े किराये के विरोध में आज उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और इस निर्णय को वापिस लेने की मांग की है।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेन्दर मेहरा ने कहा कि बस किराये में 25 प्रतिशत की वृद्धि करके सरकार ने कोरोना की मार झेल रहे लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाला है। उन्होंने कहा कि जब से ये सरकार सता।में आई है तब से 50 प्रतिसत तक किराये में वृद्धि कर चुकी है। आज पूरा प्रदेश कोरोना की मार झेल रहा है जिससे लगभग सत्तर प्रतिशत लोग नोकरी से हाथ धो चुके हैं ऐसे में बस किराये में वृद्धि करना तर्कसंगत नही है। मेहरा ने कहा कि इस महामारी के काल में लोगों को राहत देने के बजाए सरकार लोगों पर महंगाई का बोझ डाल रही है। इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ लोगों के बीच मे जाएंगे और इस जनताविरोधी सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि पूरे देश की अपेक्षा पहले ही हिमाचल प्रदेश में किराया बहुत ज़्यादा है। यह उत्तर-पूर्व भारत के पहाड़ी राज्यों के मुकाबले कहीं ज़्यादा है। सात रुपये न्यूनतम किराया होने से मजदूर व गरीब किसानों को बस में बैठने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा। यह सीधी गरीब मार है। यह सरकार पूरी तरह गरीब विरोधी है। इस सरकार ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा अपना राजस्व बढ़ाने व बड़े ट्रांसपोर्टरों को फायदा पहुंचाने के लिए अपनाया गया यह हथकंडा मजदूर,किसान व जनता विरोधी है। यह सरकार पूरी तरह संवेदनहीन हो चुकी है व ऐसे निर्णय थोपकर जनता से जीने का अधिकार छीन रही है।