अनुराधा त्रिवेदी
एप्पल न्यूज़, शिमला
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अभी लद्दाख से भी पूरी तरह से अपने सैनिक पीछे नहीं हटाए हैं। इसी बीच लिपुलेख, जहां नेपाल भारत के खिलाफ खड़ा है, वहां चीन ने अपने इलाके में एक हजार सैनिक तैनात किए हैं। भारत के इलाके लिपुलेख के पास नेपाल की तरफ से दावा किया जा रहा है, वहीं एलएसी पार चीन ने अपने जवानों की संख्या तेजी से बढ़ाई है। यह सब लद्दाख गतिरोध के बीच जारी है। भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी के बीच क्या नेपाल पड़ोसी देश चीन के साथ मिलकर भी कोई चाल चल रहा है ? यह सवाल लिपुलेख के पास चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों के बाद उठ रहा है। हालांकि, भारत ने भी उतने ही जवान अपने क्षेत्र में तैनात कर दिए हैं।
भारत और चीन के बीच करीब 45 सालों के बाद बीते 15 जून को बार्डर पर हिंसक झड़प हुई। अब जब लद्दाख में बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाएं धीरे-धीरे पीछे हट रही हैं, तब चीन ने लिपुलेख में चाल चली। लिपुलेख ास वही इलाका है जहां भारत ने मानसरोवर यात्रा के लिए नया रूट बनाया है। नेपाल ने यहां बनाई 80 किमी. सड़क पर ऐतराज जताया था और उसे अपना हिस्सा बताया था। हालांकि, भारत द्वारा चीन के बराबर सैनिकों की तैनाती करने के साथ-साथ नेपाल पर भी पूरी नजर रखे हुए है। पूरी लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्जा करने की फिराक में जुटा चीन पैंगोंग चीन के फिंगर-4 से 8 के बीच हटने को तैयार नहीं हो रहा है। और लंबे समय तक टकराव के लिए एलएसी से कुछ ही दूरी पर स्थित अक्साई चिन के इलाके में बड़ी सैन्य तैयारी करने में जुटा है। सेटेलाइट की ताजा तस्वीर से पता लगता है, कि चीन सैतुला सैन्य ठिकाने को आधुनिक बनाकर वहां घातक हथियार तैनात कर रहा है।
नेपाल ने भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर चीन से बात की, लेकिन चीन ने नेपाल इस मुद्दे पर किनारा करते हुए कहा, कि ये दो देशों के बीच का मामला है। ये आपस में सुलझाएं। चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की बटालियन को उत्तराखंड में लिपुलेख पास के नजदीक तैनात किया है। एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने कहा, लिपुलेख पास उत्तरी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में एलएसी पर पीएलए के सैनिकों का जमावड़ा है। लिपुलेख पास के जरिए एलएसी के आर-पार रहने वाले भारत और चीन के आदिवासी जून-अक्टूबर के दौरान वस्तु व्यापार करते हैं। लिपुलेख भारत चीन नेपाल सीमा के ट्रांई-जंक्शन पर है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, एलएसी पर स्थिति लगातार बदल रही है। चीनी सैनिक लद्दाख के अलावा दूसरी जगह पर अपनी निगरानी और तैनाती कर रहे हैं।
भारत ने भी अपने सैनिकों को तैयार रखा है और लद्दाख में सर्दियों के लिए सैन्य तैयारियों के लिए लगा है। नेपाल के बाद चीन की भी लिपुलेख पर नीयत लगी हुई है। वे इफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटे हुए हैं। भारत को इस बात की चिन्ता है, कि नेपाल क्या पूरी तरह भारत के विरोध में चीन के साथ खड़ा हो गया है ? क्या उसकी इस हरकत से उसकी अपनी संप्रभुता को खतरा नहीं है ? बहरहाल, भारत चाइना और नेपाल से लगती बार्डर पर अपनी सारी सैन्य तैयारियों के साथ मुस्तैदी से डटा हुआ है।
अनुराधा त्रिवेदी
वरिष्ठ पत्रकार भोपाल