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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी- गृहस्थी मंगलवार 11 को दिन और वैष्णव बुधवार 12 को मनाएं त्यौहार, जानें क्या है कारण…..

एप्पल न्यूज़, शिमला

कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में दिनांक 11 अगस्त 2020 को रात्रि 11:00 बज कर 37मिनट अथवा 11:39 मिनट पर पूरे हर्षोल्लास से भारतवर्ष में मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र वृष राशि के चंद्रमा में, परम ब्रम्ह श्री कृष्ण भगवान का जन्म देवकी के गर्भ से हुआ था ।भाई राजा कंस अत्याचारी था उसने वासुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया क्योंकि उसे आकाशवाणी हुई थी के देवकी के गर्भ से जो संतान पैदा होगी वह कंस का काल बनेगी ।

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यही कारण है कि उसने अपनी प्यारी बहन देवकी को और उसके पति वसुदेव को कारागार में डाल दिया। उसने प्रण किया कि जो भी संतान बहन की होगी मैं उनका स्वयमेव कत्ल करूंगा ।इस प्रकार कंस ने देवकी की 7 संतानों को मार डाला और आठवीं संतान कृष्ण के रूप में जब अवतरित हुई तो वासुदेव ने रातों-रात संतान को नंद जी के घर यशोदा के घर पहुंचा दिया और वहां से यशोदा की कन्या को अपने यहां कारागार में ले आए ,दूसरे दिन जब कंस को पता लगा तो वह उसे भी मारने के लिए आए, परंतु भगवान कृष्ण तो 16 कलाओं से परिपूर्ण अवतरित हो गए थे। इसलिए उन्होंने कंस को सजा देने के लिए अनेक प्रकार की युक्तियों के द्वारा उसका हनन किया।

शिमला के ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ मस्त राम शर्मा ने बताया कि 11 अगस्त 2020 को उस दिन मेष राशि का चंद्रमा होगा, अष्टमी तिथि होगी परंतु रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्रमा नहीं होगा । अष्टमी तिथि दूसरे दिन भी प्रातः 7:36 तक होने के कारण रात्रि का त्यौहार कृष्ण जन्माष्टमी होने के कारण इसे जो समार्त लोग इसे रात्रि के समय में इस पर्व को मनाते हैं।

इसलिए समार्त लोग जो गृहस्थी है वे मंगलवार के दिन तथा वैष्णव लोग 12 तारीख को बुधवार के दिन इस त्यौहार को मनाएंगे। श्री कृष्ण ने अत्याचारी कंस का विनाश किया और साथ ही उन्होंने गीता का भी लोगों के सामने उपदेश दिया। कृष्ण जन्म अष्टमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में दिनांक 11 अगस्त 2020 को रात्रि 11:37 पर अथवा 11:39 पर पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा ।श्री कृष्ण के द्वारा रचित गीता ना केवल भारतवर्ष अपितु समस्त विश्व में सभी लोग इसका मान और सम्मान और आदर करते हैं महात्मा गांधी जी सदैव अपने हाथ में गीता लेकर चलते थे ।

गीता भक्तियोग कर्मयोग और ज्ञानयोग को देने वाली है श्री कृष्ण की जयंती के अवसर पर मंदिरों में दिव्य झांकियां भगवत प्रतिमाओं का मनमोहक सिंगार भक्ति भाव विभोर नर नारियों द्वारा अखंड कीर्तन किया जाता है तथा भगवान की शोभायात्रा भी दिन के समय निकाली जाती है प्र य:भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी मंगलवार के दिन लोग भव्य झांकियां निकालेंगे तथा मंदिरों में पूजा अर्चना भी करेंगे।

यह त्यौहार समूचे भारतवर्ष में हर्षोल्लास से मनाया जाएगा और रात्रि के अंधकार में लगभग 12:00 के मध्य सभी लोग अपने घरों में भगवान श्री कृष्ण की पालकी बनाकर उसे सुंदर वस्तुओं से कृष्ण को सजाकर झूले में बिठाकर उसका पूजन और स्तवन करेंगे।

यह हमारी भारतीय संस्कृति का और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है सभी लोग इस दिन गीता का पाठ तथा भगवान श्री कृष्ण के लिए प्रातः से सायंकाल तक क्योंकि भगवान का जन्म रात्रि के समय हुआ था तब तक लोग भगवान श्री कृष्ण के भजनों का गायन करेंगे तथा पंचोपचार व षोडशोपचार से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना भी करेंगे।

जय श्रीकृष्णा

साभार- पंडित डॉ मस्त राम शर्मा

ज्योतिषाचार्य शिमला

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