IMG_20220716_192620
IMG_20220716_192620
previous arrow
next arrow

हिमाचल सरकार मछुआरोें के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए प्रतिबद्व, गोबिन्द सागर जलाशय से 3963 मछुआरों की आय में होगी वृद्धि

1

एप्पल न्यूज़, बिलासपुर

वृद्धि प्रदेश सरकार मछुआरों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने सतुलज नदी पर मानव निर्मित जलाशय गोविंद सागर के निर्माण के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए हैं। वर्तमान वर्ष के दौरान गोबिन्द सागर जलाशय में लगभग 500 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया है, जिससे 3963 मछुआरों की आय में वृद्धि हुई है, जिनमें 2169 लाइसेंस धारक विस्थापित परिवारों से हैं व 34 सहकारी समितियों से संबंधित हैं।

\"\"

ऊना और बिलासपुर जिलों में नदी घाटी परियोजना के पूरा होने के कारण विस्थापित हुए कुल 2,000 से अधिक परिवारों को गोविंद सागर जलाशय में मछली पकड़ने, परिवहन, मछली की पैकिंग, जाल बुलाई और विपणन आदि कार्य में लगाया गया हैं।मत्स्य पालन विभाग ने गोविन्द सागर जलाशय में अक्तूबर, 2020 तक 195.34 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया है, जबकि अक्तूबर, 2019 के दौरान 164.35 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया था।

गोविंद सागर में गर्मियों के दौरान उत्पादित मछली की कीमत 126 रुपये प्रति किलोग्राम जबकि सर्दियों के दौरान मछली की कीमत 182 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है, जिससे वर्तमान वर्ष के दौरान मछुआरों को लगभग 8 करोड़ रुपये की आय हुई है। गोबिंद सागर झील में वर्ष 2019-2020 के दौरान 23.78 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन दर्ज किया गया था, जिसकी वर्ष 2020-2021 के दौरान बढ़कर 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है।

 मत्स्य पालन जलाशय की रीढ़ होने के नाते प्रदेश में मत्स्य पालन गतिविधियों को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान वर्ष के दौरान भण्डारण वृद्धि रणनीति के तहत जलाशय में 70 मिलीमीटर पानी में 44,30,763 व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण आनुवांशिक कार्प्स की गुणवत्ता वाली विशेष मुख्य रूप से आईएमसी, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और काॅमन कार्प मछली आदि मछलियांे की प्रजातियों का भण्डारण किया गया है, जो निश्चित रूप से मछुआरों की आय बढ़ाने में मदद करेगा।

आईएमसी की फींगरलिंग और ग्रेविड स्पावनर्स के शुरू होने से वर्ष 1969 में जलाशय में मछली पकड़ने का पहला प्रयास किया गया था। तब से एक नियमित भण्डारण कार्यक्रम शुरू किया गया है। भण्डारण में मुख्य रूप से आईएमसी, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और काॅमन कार्प मछली प्रजातियां शामिल हैं, जो व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और बाजार में अधिक मछलियों की मांग को आकर्षित करती हैं।

गोन्विद सागर जलाशय में मछली के बीज का नियमित रूप से भण्डारण किया गया है।राज्य मत्स्य पालन विभाग ने इसे हिमाचल प्रदेश के मछली पकड़ने के प्रमुख जलाशयों के रूप में विकसित करने के लिए कई पहल की हैं। विभाग कार्प मछली की किस्मों के बीज भंडार का काम नियमित रूप से कर रहा है, पूरे वर्ष अवैध मछली पकड़ने पर कड़ी निगरानी बनाए रखता है, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करता है और बंद मौसम के दौरान अपने कर्तव्यों के लिए सभी काम करने वाले कर्मचारियों के समर्पण से रिकार्ड मछली उत्पादन को परिणाम देता है।

वर्तमान में प्राप्त उपलब्धि, अच्छे जलाशय प्रबंधन प्रथाओं का परिणाम है, जिसमें गोविंद सागर जलाशय में संरक्षण के उपाय और नियमित मछली बीज भंडार शामिल हैं और विभाग द्वारा मछुआरों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की गई है, यह बात मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कही।                         

Share from A4appleNews:

Next Post

हिमाचल-मंडी में हादसा-पिकअप सुकेती खड्ड में गिरी, 7 मजदूरों की मौत

Mon Nov 16 , 2020
एप्पल न्यूज़, मंडी बिहार से मंडी मजदूरी करने पहुंचे मजदूरों को क्या मालूम था कि मंडी पहुंचते ही उन्हें काम की जगह मौत मिल जाएगी। बीती रात मंडी शहर के साथ लगते पुलघराट के पास एक पिकअप जीप अनियंत्रित होकर सुकेती खड्ड में जा गिरी। जिसमें सवार 7 मजदूरों की […]

You May Like

Breaking News