एप्पल न्यूज़, कुल्लू
दैनिक जीवन में व्यक्ति को हर कहीं हाथ का उपयोग करना पड़ता है जिस कारण हाथों में हर समय कीटाणुओं की मौजूदगी रहती है। बहुत सी बीमारियां इन्हीं कीटाणुओं से व्यक्ति को संक्रमित करती हंै। इसलिये आवश्यक है कि हम अपने हाथों को हर समय स्वच्छ रखने का प्रयास करें। इसके लिए घर पर अथवा कार्यस्थल पर बार-बार साबुन से कम से कम 20 सैकेण्ड तक हाथ धोने से कोई भी वायरस आपके हाथों को नहीं छू सकता। कोविड-19 के संकट के दौरान हाथों की सफाई को लेकर बार-बार एडवाईजरी जारी की जाती रही है, लेकिन हम यदा-कदा लापरवाह हो जाते हैं।
यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. सुशील चंद्र ने कोरोना वायरस के व्यवहार पर चर्चा करते हुए क्षेत्रीय अस्पताल में कही। उन्होंने कहा यदि व्यक्ति अच्छे से ट्रिप्पल लेयर का मास्क प्रयोग करें और अपने हाथों की सफाई रखें तो सम्भवतः कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है। मास्क की महता पर उन्होंने कहा कि सामने से आ रहा व्यक्ति यदि छींकता है अथवा खांसी करता है तो मास्क न होने की स्थिति में कीटाणु आपको संक्रमित कर सकते हैं। हो सकता है वह व्यक्ति कोरोना पाॅजिटिव हो। इसलिए मास्क को महज दिखावे अथवा चालान से बचने के लिए नहीं पहना जाना चाहिए, बल्कि अच्छे कपड़े का अथवा सर्जिकल मास्क होना चाहिए। सर्जिकल मास्क का उपयोग भी केवल एक दिन अथवा एक बार ही किया जा सकता है। बाजार में कपड़े से बडी मात्रा में उपलब्ध मास्क की गुणवत्ता की अच्छे से जांच करनी चाहिए।
डाॅ. सुशील चंद्र ने कहा कि मास्क के अच्छे से उपयोग और हाथ धोने को लेकर किसी को भी लापरवाही नहीं बरतनी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन नियमों का ईमानदारी के साथ पालन करें और अपने आप को तथा अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखें। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की कि यदि खांसी, तेज बुखार अथवा सांस लेने की दिक्कत महसूस होती है तो तुरंत से चिकित्सक से संपर्क करें।
उधर, चिकत्सा अधीक्षक ने बताया कि क्षेत्रीय अस्पताल में सामाजिक दूरी व मास्क के उपयोग के नियमों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में पर्ची बनाने के लिए जिला आपदा प्रबंधन की ओर से दो तम्बु प्रदान किए गए हैं जो अस्पताल के प्रांगण में स्थापित किए गए हैं। लोग वहीं पर खांसी, बुखार इत्यादि की पर्ची बनवाते हैं और चिकित्सक के पास बारी-बारी परामर्श के लिए जा रहे हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के खतरे के दृष्टिकल आजकल काफी कम लोग अस्पताल आ रहे हैं।
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