एप्पल न्यूज़ शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन एंड ओपन
लर्निंग (इक्डोल) के शिक्षा विभाग और आई पी डी ए , इंडिया के सहयोग से राष्ट्रीय वेबिनार
का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय वेबिनार के संरक्षक और मुख्य अतिथि, आचार्य सिकंदर
कुमार, कुलपति, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला रहे । वेबिनार के चेयर, और मुख्य
वक्ता आचार्य बलवंत सिंह, अध्यक्ष आई पी डी ए , इंडिया रहे ।
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वेबिनार के अध्यक्ष आचार्य कुलवंत सिंह पठानिया, निदेशक , इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन एंड ओपन लर्निंग (इक्डोल) , हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय रहे। राष्ट्रीय वेबिनार के संयोजक की भूमिका का निर्वहन डा चमन लाल बंगा, सहायक आचार्य , शिक्षा , इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन एंड ओपन लर्निंग (इक्डोल) ने किया। राष्ट्रीय वेबिनार का विषय, भारतीय शिक्षा प्रणाली पर पोस्ट कोविड -19 प्रभाव रहा ।
वेबिनार के उप विषयों में विश्वासों और व्यवहारों में परिवर्तन की जाँच करना, छात्रों और शिक्षकों पर कोविड -19 का प्रभाव और नई शिक्षा नीति के प्रकाश में भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन इत्यादि रहे।
अध्यक्षीय भाषण में मुख्य अतिथि,आचार्य सिकंदर कुमार, कुलपति, हिमाचल प्रदेश
विश्वविद्यालय ने कहा कि राष्ट्रीय वेबिनार का विषय बहुत सारगर्भित है। कोविड -19 का उच्च
शिक्षा पर बहुत प्रभाव पड़ा है। लॉकडाउन ने डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने में तेजी लाई
है। यह भी एक तथ्य है कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रणाली में विभिन्न अवधारणाओं के
परिणामस्वरूप होता है, जिसमें शिक्षक-केंद्रित शिक्षा से छात्र-केंद्रित शिक्षा तक कदम
सम्मिलित है।
डिजिटल शिक्षा में शिक्षा पाठ्यक्रम सामग्री, शिक्षाविदों, प्रौद्योगिकी और पाठ्यक्रम लेने वालों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है । प्रौद्योगिकी का डेमोक्रेटाइजेशन अब एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें इंटरनेट कनेक्टिविटी, टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑनलाइन सिस्टम की क्षमता, लैपटॉप / डेस्कटॉप की उपलब्धता, सॉफ्टवेयर, शैक्षिक उपकरण, ऑनलाइन मूल्यांकन उपकरण आदि शामिल हैं। कोविड -19 का मुकाबला करने का एक महत्वपूर्ण पहलू यह सुनिश्चित करना है कि जो भी संभव हो सेवाओं को वितरित किया जाए। कॉलेजों और स्कूलों
को बंद किए जाने की इस चुनौती को देखते हुए, भारत सरकार, साथ ही राज्य सरकारें
नियमित रूप से MHRD, तकनीकी शिक्षा विभाग, NCERT और अन्य जैसे मंत्रालयों द्वारा
युवाओं को समर्थन और लाभ देने के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों पर जानकारी प्रकाशित कर
रहे हैं।
स्वागत भाषण में आचार्य कुलवंत सिंह पठानिया ने कहा कि कोरोना वायरस ने शिक्षाविदों को
नए सिरे से सोचने और मौजूदा शैक्षिक नीतियों को फिर से तैयार करने के लिए मजबूर कर
दिया है। हमारे देश में स्कूलों और विश्वविद्यालयों ने कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा को
अपनाया है।
शहरी स्कूलों के ऑनलाइन क्लासेज़ कराने और इनकी पहुंच सीमित होने के चलते शिक्षाविदों को हर तरह के आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि वाले बच्चों के लिए पढ़ाई के इनोवेटिव तरीकों को ढूंढने की चुनौती पैदा हो गई है। आज के सन्दर्भ में कोविड-19 के बाद की दुनिया में स्कूलों को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए खुद को पूरी तरह से दोबारा खड़ा करना पड़ेगा।
मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य बलवंत सिंह ने कहा कि हम कोविड 19 के समाप्त होने के
उपरान्त कैसे शिक्षा से जुडेंगें। अभी और लम्बे समय तक कोरोना का प्रभाव देखने को मिलेगा।
बच्चों को घर पर रहने की आदत पड़ गयी है हम किस तरह से उन्हें पुराने दौर से जोड़ेंगे, बच्चों ने
पढ़ाई की हुयी है पर गैप को कैसे दूर किया जा सकेगा। वो पढ़ाई नहीं हो पायी जो संस्थान में
आने पर होती थी।
अध्यापकों की भी आदत छूट गयी है , जैसे पहले समय पर आना – जाना , समयानुसार सब कार्य होने , पर कोविड काल में तो कुर्सी पर बैठकर ऑनलाइन शिक्षण करवाने तक सीमित। पुराने सिस्टम में कैसे प्रवेश करेंगे। मूलभूत तकनीकी सुविधाओं से बच्चों को जोड़ना होगा तभी भविष्य में ऑनलाइन शिक्षा कारगर सिद्ध होगी।
राष्ट्रीय वेबिनार के संयोजक डा चमन लाल बंगा और जसपाल सिंह ने पोस्ट कोविड -19
का शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। आई पी डी ए , इंडिया की
सचिव , डा मनप्रीत कौर , प्राचार्य , प्रताप कॉलेज आफ एजुकेशन , लुधियाना ने धन्यवाद
प्रस्ताव प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय वेबिनार में देश भर के लगभग 115 प्रतिभागियों ने हिस्सा
लिया।