एप्पल न्यूज़, ब्यूरो—-
जीवन के बहुरंगों को
उल्लास और उमंगों को
थके मनुष्य के नस-नस भरने
लो फिर आई होली
दुख गुलाल संग उड़ा देने को
कलुष मिठास में पगा देने को
सुप्त संबंधों को जागृत करने
लो फिर आई होली
अतीतकंटक भी गले लगाने को
सूखे पुष्पदल पुनः महकाने को
मृत हो रहे पलों में प्राण भरने
लो फिर आई होली
दुख दर्द आग लगा भगाने को
आत्मा देहरंगोली सजा लुभाने को
नित ढलती उम्र में स्फूर्ति भरने
लो फिर आई होली
(सबको होली की बधाई)
डॉ एम डी सिंह