एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहर
रामपुर बुशहर का ऐतिहासिक फाग मेला इस बार भी कोरोना की भेंट चढ़ गया। प्रशासन ने इस बार भी मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी। महज तीन देवता देव जाख रचोली, बसाहरू और गसो देवता ही परम्परा का निर्वहन करने राजमहल पहुंचे लेकिन यहां पर राजपरिवार के किसी भी सदस्य की मौजूदगी न होने से देवता जाख नाराज हो गए। देवता को मनाने के लिए कर कारिदों को खूब मशक्कत करनी पड़ी।
आखिरकार राजवंशज विक्रमादित्य सिंह के मंगलवार शाम उपस्थित रहकर बुधवार को विदाई समारोह में शामिल होने की शर्त पर ही देवता माने। जिसके बाद होली उत्सव मनाया गया और गुलाल सहित अन्य रंगों से होली खेली गई।
इसके पश्चात देवता बसाहरू ने साफ कहा कि देवता इस बार राजदरबार में ही स्थान ग्रहण करेंगे जबकि इससे पूर्व चौबच्चा मंदिर में देवता विश्राम करते थे।
राजपरिवार के प्रतिनिधि रामआसरे ठाकुर ने बताया कि सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए ही मेला मनाया जा रहा है। होली की शाम देवताओं का स्वागत किया गया। मंगलवार से मेल लेगा और बुधवार दोपहर को देवता वापस अपने स्थान पर लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि विदाई के समय बुधवार को विक्रमादित्य सिंह आएंगे।
गौर हो कि बरसों से हर वर्ष होली की शाम देवता जाख, बसाहरू और गसो देवता होली खेलने राजमहल पहुंचते हैं इसके बाद दूसरे दिन से चार दिवसीय फाग मेला चलता था जिसमें समूचे बुशहर क्षेत्र और कुल्लू से 15-20 देवता मेले की शोभा बढ़ाते थे।
गाजे बाजे के साथ पारम्परिक वाद्य यंत्रों और परिधानों के साथ नाटी लगाई जाती थी। समूचा रामपुर क्षेत्र भक्तिभाव से सराबोर हो जाता था लेकिन इस बार मंडी की शिवरात्रि और बिलासपुर के नलवाड़ी जैसे मेले को तो धूमधाम से मनाया गया लेकिन फाग मेला आते आते कोविड नियमों को लागू करवाकर इस ऐतिहासिक मेले का स्वरूप ही बदल दिया। केवल खानापूर्ति के लिए मेला चलाया जा रहा है। जिससे देवलू और स्थानीय लोग भी मायूस हैं।