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कोरोना संक्रमण से मरना कोई गुनाह तो नहीं, दाह संस्कार पर ग्राम पंचायत बागी और सूद सभा में ठनी, प्रधान बोले- DC जांच करवाएं, हो कार्रवाई

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एप्पल न्यूज़, शिमला
न मालूम कितने ही लोगों की आंख से कचरा निकालकर राहत पहुंचाने वाली संतोष ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जीवन के आखिरी सफर पर जाते हुए वे कितनों की आंख की किरकिरी बन जाएंगी। क्या कोरोना संक्रमण होना गुनाह था जो मौत के बाद अपनों के साथ ही समाज सेवकों ने भी तमाशा बना दिया।
ये घटना है शिमला ग्रामीण के जाठिया देवी की। जहां पति की मौत के 9 दिन बाद ही संतोष ने सोमवार अल सुबह प्राण त्याग दिए। पीछे छोड़ गई एक बेटी जो खुद कोरोना संक्रमित है।
मौत आई भी तो ऐसे समय जब पूरा जाठिया देवी क्षेत्र संक्रमण की चपेट के चलते कंटेन्मेंट ज़ोन बना है। विकट समस्या आई कि आखिर अंतिम यात्रा में कौन जाए। क्योंकि परिवार के लोग कंटेन्मेंट में है तो पैतृक गांव के लोग भी रस्म निभाने में असमर्थ थे।
संतोष के देवर ने सुबह 4 बजे ही ग्राम पंचायत बागी के प्रधान नरेश ठाकुर को फोन कर व्यथा सुनाई और मदद की गुहार लगाई और कहा ‘ जिस संतोष देवी के जीते जी लोग अपनी आंख में गए कचरे की बीमारी का उपचार करवाने के लिए भीड़ के रूप में घण्टो
इंतज़ार करते थे आज उसी को कांधा देने लोग मौजूद नहीं है। ऐसे में अब उम्मीद पंचायत प्रधान से ही थी। मानवीय संवेदनाओं को देखते हुए नरेश ठाकुर ने बिना समय गंवाए सभी पंचायत सदस्यों, उप प्रधान और बीडीसी सदस्य को घटना की जानकारी देकर आपात बैठक के लिए बुलाया। सुबह 5 बजे पंचायत बैठी परिवार जनों और ग्रामीणों से बातचीत की और प्रयास किये गए कि पार्थिव शरीर का सम्मान जनक रूप से अंतिम संस्कार किया जाए। लेकिन कोई हल न निकला इसके बाद प्रशासन से बात की गई गांव का शमशान घाट करीब डेढ़ किलो मीटर दूर था। न पीपी ई किट न ही अन्य व्यवस्थाएं क्योंकि कोरोना संक्रमण से संभवतः ग्रामीण क्षेत्र में पहली मौत थी। तय हुआ कि अंतिम संस्कार कनलोग स्थित शमशान घाट में किया जाए। इस पर प्रधान ने कनलोग में बात की और आईजीएमसी से शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस मंगवाई। खुद पांच पीपीई किट भी उपलब्ध करवाई और दोपहर में 4-5 लोग शव लेकर कनलोग पहुंचे जहां पर शव लेने से इनकार किया गया। बताया गया कि ये शव गांव से लाया गया है इसलिए अंतिम संस्कार यहां नहीं होगा। परिजनों ने हाथ जोड़ें मिन्नतें की तब जाकर अंतिम संस्कार किया गया। इसी बीच कनलोग की देखरेख करने वाली सूद सभा ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने गांव में अंतिम संस्कार नहीं होने दिया और सोशल मीडिया में बयान जारी किया और घटना की हर तरफ निंदा होने लगी।

इस पर मृतक के देवर दयानन्द ने स्पष्ट कहा कि आरोप निराधार है। जबकि ग्राम प्रधान नरेश ठाकुर ने ही सारी व्यवस्थाएं की थी।
वहीं ग्राम पंचायत प्रधान नरेश ठाकुर ने कहा कि उन पर सारे झूठे आरोप लगाए गए हैं । जबकि वह पूरे तन ,मन, धन से इलाके के सभी कोरोना संक्रमितों के साथ खड़े हैं। उन्होंने उपायुक्त शिमला से पूरे मामले की जांच कर महामारी के दौर में अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उधर, टुटू विकास खण्ड के बीडीसी उपाध्यक्ष रामलाल ने कहा कि इस तरह के निराधार आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जबकि नरेश ठाकुर खुद हर संभव सहयोग करने के लिए तत्पर है। यदि पूरी निष्ठा और सेवा भाव से काम करने वाले जन प्रतिनिधियों का मनोबल इस तरह गिराया गया तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में कोई भी मानवता की सेवा के लिए आगे नहीं आएगा।

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