एप्पल न्यूज़, शिमला
सेब राज्य हिमाचल प्रदेश में बागवानों को ठगने के लिए दवा कंपनियों और दवा विक्रेताओं ने नकली दवाओं का धंधा शुरू कर रखा है। आलम यह है कि जिन बागवानों की बदौलत दवा विक्रेता पेस्टीसाइड, फंगीसाइड और सप्लीमेंट बेचकर करोड़ों कमाते हैं आज वही उनसे खुली लूट करने पर उतारू हो गए हैं। विक्रेता तो विक्रेता हिमाचल सरकार के बागवानी विभाग की हालत तो बद से बदतर है। विभाग को ये भी पता नहीं कि आखिर दवा विक्रेताओं पर कार्रवाई करे तो करे कौन।
बागवानी विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है और बागवानों द्वारा लिखित में तथ्यों सहित शिकायत देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। बार-बार अधिकारियों को फोन किए जा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। इससे प्रतीत होता है कि यह सब धांधली बागवानी विभाग के अधिकारियों और दवा विक्रेताओं के बीच सांठगांठ का नतीजा है।
जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों ठियोग, रोहड़ू, नारकंडा, रामपुर बुशहर, आनी, निरमण्ड और किन्नौर में खुले आम क्रिस्टल कम्पनी का नकली और डुप्लीकेट सप्लीमेंट एप्लिन Applin दवा विक्रेताओं द्वारा बेचा जा रहा है। 250 मिली लीटर की इस बोतल में करीब 200 मिलीलीटर दवा है। इतना ही नहीं इस पर दो दो लेवल भी चस्पा रखे हैं। रैपर खोला तो पता चला ये एक्सपायरी डेट की दवा है। ऐसे में कई तरह से बागवानों के साथ धोखा किया जा रहा है।
बागवान इस दवा का इस्तेमाल सेब की सैटिंग और ग्रोथ के लिए करते हैं। जिसे हाथोहाथ लिया जाता है। आलम यह है कि करीब 3 हजार रूपये कीमत की यह दवा किसी को 1500 तो किसी को 2 हजार और किसी को 2500 रुपये में बेची जा रही है। विक्रेता किसी को बिल नहीं दे रहे यदि कोई मांगे तो उसे कैश मेमो पकड़ा देते हैं।
रामपुर बुशहर के बागवान देशराज, मेहर चंद, कैलाश शर्मा और अन्य लोगों ने बताया कि उन्होंने एक बड़े दवा विक्रेता से एप्लिन खरीदकर बागीचे में डाली। जिसके बाद बोतल को नष्ट करने के लिए तोड़ा तो पता चला कि बोतल पर एक नहीं दो दो रैपर लगे हैं इसे खोला तो पता चला कि ये नकली और एक्सपायरी डेट की दवा है जिसका सेब के पेड़ों और फलों पर विपरीत असर पड़ेगा। इस बारे में उन्होंने बागवानी विभाग के अधिकारियों को सूचित किया लेकिन कोई भी सुनवाई के लिए तैयार नहीं था।
इसके बाद शिकायत बागवानी विभाग के निदेशक को दी गई। कई बार उनसे फोन पर भी सम्पर्क साधा और ऐसे नकली और डुप्लीकेट दवा बेचने वालों पर कार्रवाई की माग की। लेकिन उन पर बागवानों की फरियाद का कोई असर नहीं हुआ। बागवानी निदेशक ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि रामपुर बुशहर खंड कृषि विभाग के अधीन है और उनसे शिकायत करें, वह कुछ नहीं करेंगे।
बागवानों ने कृषि विभाग के निदेशक को लिखित शिकायत दी। जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए कृषि विभाग के उपनिदेशक टीम सहित रामपुर पहुंचे लेकिन जब उन्होंने एप्लिन दवा के बारे में विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने बताया कि ये उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है इस पर केवल बागवानी विभाग ही कार्रवाई कर सकता है। जिसके बाद उन्होंने छापामारी नहीं की और लौट गए।
बागवानों ने फिर उपनिदेशक और निदेशक बागवानी हिमाचल सरकार से कार्रवाई की मांग की लेकिन ऐसा लगता है कि बड़े मगरमच्छों के साथ अधिकारियों की सांठ गांठ के चलते बागवान लूटते ही रहेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि आखिर इस लूट पर कार्रवाई करे तो कौन, यदि विभाग को ये भी पता नहीं कि ऐसी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा जबकि दवा विक्रेताओं को लाइसेंस बागवानी विभाग ही जारी करता है।
इस मामले को जब मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में विभाग से रिपोर्ट तलब की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
रामपुर बुशहर के बागवान देशराज, मेहर चंद, कैलाश शर्मा और अन्य लोगों ने सरकार से मांग की है इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। बागवानों को लूटने की खुली छूट देना सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़ा करती है। प्रदेश में करीब पांच हजार करोड़ का बागवानी व्यवसाय है ऐसे में अधिकारियों की इतनी गैर जिम्मेदार कार्यप्रणाली बागवानों को निराश करती है। इसलिए अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
अब मुख्यमंत्री द्वारा मीडिया के समक्ष दिए इस बयान का बागवानी विभाग के अधिकारियों पर कुछ असर होगा या नहीं यह आने वाला समय ही बताएगा।