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मोहम्मद रफीक ने ली हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ, 5 साल पुराने लंबित मामलों का निपटारा करना प्रथमिकता

एप्पल न्यूज़, शिमला

मोहम्मद रफीक ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली है। राज्यपाल राजेंद्र विश्व नाथ आर्लेकर ने उन्हें राजभवन में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।

मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेने के बाद मोहम्मद रफीक ने बताया कि उनकी प्रथमिकता 5 साल से अधिक समय से पेंडिंग केस को निपटारा करने को होगी।

उन्होंने बताया कि वह पहले एमपी ओर राज्यस्थान में कार्य कर चुके हैं। जहाँ काफी समानता थी।

हिमाचल पहाड़ी राज्य है यहां के लोग शांत स्वभाव के हैं। यहाँ ज्यादा मामले नही होंगे। उन्होंने बताया कि हाइकोर्ट में लगभग 78 हजार मामले लंबित है जो कि अन्य राज्यों की तुलना में कम है।

न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने शिमला में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ग्रहण की। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। समारोह का आयोजन राजभवन के दरबार हाॅल में किया गया, जहां मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने शपथ समारोह की कार्यवाही का संचालन किया और भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक के स्थानान्तरण सम्बन्धी अधिसूचना को पढ़ा। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और उनकी धर्मपत्नी डाॅ. साधना ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक का जन्म राजस्थान में चुरू जिला के सुजानगढ़ में 25 मई, 1960 को हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से वर्ष 1980 में बी. काॅम, वर्ष 1984 में एल.एल.बी. और वर्ष 1986 में एम.काॅम की डिग्री हासिल की। 8 जुलाई, 1984 को राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद उन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य आरम्भ किया।

उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में विधि की लगभग सभी शाखाओं में प्रैक्टिस की, जिनमें संवैधानिक मामले, सेवा मामले, भूमि अधिग्रहण मामले, भू-राजस्व मामले, सीमा शुल्क व आबकारी मामले, कर मामले, कम्पनी मामले और आपराधिक मामले इत्यादि प्रमुख थे।

उन्होंने 15 जुलाई, 1986 से 21 दिसम्बर, 1987 तक राजस्थान राज्य के सहायक राजकीय अधिवक्ता और 22 दिसम्बर, 1987 से 29 जून, 1990 तक उप राजकीय अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1993 से 1998 तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से उच्च न्यायालय के पैनल अधिवक्ता के रूप में पैरवी की।

उन्होंने वर्ष 1992 से 2001 तक स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में उच्च न्यायालय के समक्ष यूनियन आॅफ इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष भारतीय रेलवे, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड, जयपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड और जयपुर नगर निगम का प्रतिनिधित्व भी किया।

वह 7 जनवरी, 1999 को राजस्थान राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किए गए और बैंच के लिए स्तरोन्नत होने तक इसी पद पर कार्यरत रहे। वह 15 मई, 2006 को राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। वह 7 अप्रैल, 2019 से 4 मई, 2019 और 23 सितम्बर, 2019 से 5 अक्तूबर 2019 तक दो बार राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। मुख्य न्यायाधीश बनने से पूर्व वह राजस्थान राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश भी रहे।

वह 13 नवम्बर, 2019 से 26 अप्रैल, 2020 तक मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे। मेघालय उच्च न्यायालय से स्थानान्तरित किए जाने के बाद 27 अप्रैल, 2020 को न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। उड़ीसा उच्च न्यायालय से स्थानान्तरित किए जाने पर 3 जनवरी, 2021 को उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली।

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय केे न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला, आरट्रैक के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, महाधिवक्ता अशोक शर्मा, विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष, पुलिस महानिदेशक संजय कुण्डू, महापौर सत्या कौंडल, विभिन्न बोर्डों और निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, मुख्य न्यायाधीश की धर्मपत्नी सीमा रफीक और उनके परिवार के सदस्य, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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