IMG_20220716_192620
IMG_20220716_192620
previous arrow
next arrow

हिमाचल में चीड़ की पत्तियों से होगा “कम्प्रैस्ड बॉयोगैस” का उत्पादन

एप्पल न्यूज़, शिमला

हिमाचल की समृद्ध वन सम्पदा लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने और रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसर सृजित करने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

हिमालयी क्षेत्र में चीड़ की पत्तियां आसानी से विघटित न होने (नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल) और अपनी उच्च ज्वलनशील प्रकृति के कारण आग लगने की घटना का मुख्य कारण बनती हैं।

हर वर्ष प्रदेश मंे वनों मंे आग लगने की लगभग 1200 से 2500 घटनाएं होती है। इस समस्या के समाधान तथा वन सम्पदा से स्थानीय लोगांे की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार चीड़ की पत्तियों से संपीड़ित (कम्प्रैस्ड) बॉयोगैस के उत्पादन पर विचार कर रही है।


राज्य सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के मध्य कम्प्रैस्ड बॉयोगैस (सीबीजी) उत्पादन के लिए हाल ही मंे एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है।

प्रदेश मंे चीड़ की पत्तियांे के माध्यम से जैव ईंधन का उत्पादन करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इससे पर्यावरण अनुकूल जैविक कचरे के उचित निपटारे में सहायता मिलेगी।
प्रदेश के वन अपशिष्ट लोगों के जीवन मंे सकारात्मक बदलाव लाने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। अत्याधुनिक पायरोलेसिस और अन्य तकनीकों के माध्यम से चीड़ की पत्तियों के उपयोग से जैव ईंधन के उत्पादन से वनों की आग और ऊर्जा संकट जैसे मामलों से निपटने में भी मदद मिलेगी।

हाल ही मंे हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश सरकार और ओआईएल सीबीजी सहित नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का दोहन और इसे विकास मंे सहयोग करेंगे।

प्रदेश के कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों के बड़े भू-भाग मंे चीड़ के जंगल हैं। हाल ही मंे किए गए अनुसंधान से पता चलता है कि चीड़ कीे पत्तियों को सीबीजी में परिर्वतित किया जा सकता है जो ऊर्जा का एक स्थाई संसाधन हैं। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होंगी।

ग्रामीण क्षेत्रों मंे रहने वाले लोगांे के लिए चीड़ से बायोगैस का उत्पादन रोजगार का एक अच्छा जरिया साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत विकसित करने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा एक स्थाई ऊर्जा प्रणाली विकसित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।

ओआईएल के साथ यह समझौता हिमाचल को मार्च-2026 तक देश का पहला हरित राज्य बनने की दिशा मंे सहायक होेगा।
प्रदेश का ऊर्जा विभाग चीड़ की पतियों से सीबीजी के उत्पादन की व्यवहारिता का परीक्षण करने के लिए पत्तियों के नमूनें शीघ्र ही एचपी ग्रीन रिर्सच डवेलपमंेन्ट सेंटर बैंगलुरू भेजेगा।

सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने के उपरान्त इससे पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सत्त ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन का मार्ग प्रशस्त होगा और लोगांे की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीजी सीएनजी के समान गुणधर्मी हैं और इसका उपयोग नवीकरणीय ऑटोमोटिर्व इंधन के रूप मंे किया जा सकता है।

सीबीजी मंे ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र मंे सीएनजी के स्थान पर उपयोग की क्षमता है। प्रदेश मंे चीड़ की पत्तियों की प्रचुर मात्रा मंे उपलब्धता राज्य के ऊर्जा स्रोतों मंे बढ़ोतरी का एक मुख्य साधन बन सकती है।
चीड़ की पत्तियों का ईंधन अथवा बिजली के रूप मंे उपयोग इसके आर्थिक मूल्य मंे वृद्धि करेगा जिससे लोग भी इन्हें अधिकाधिक मात्रा में एकत्र करने के लिए प्रेरित  होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण सभी का सामूहिक दायित्व है ताकि पशुआंे के चरागाहें सुरक्षित रखी जा सकें और यह तभी संभव है जब हम जंगलों को चीड़ की सूखी पत्तियों से मुक्त कर इनका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा स्रोेत के रूप मंे करंेगे।

Share from A4appleNews:

Next Post

जयराम ठाकुर ने विदेश से 50 रुपए प्रति किलो से कम दाम पर अब सेब न खरीदने के फैसले पर केंद्र सरकार का किया धन्यवाद 

Tue May 9 , 2023
एप्पल न्यूज़, शिमला भाजपा के नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समस्त केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा की केंद्र सरकार ने सेब उत्पादकों के लिए एक बड़ा एवं ऐतिहासिक निर्णय लिया है।  उन्होंने कहा भारत में भूटान को छोड़ विदेश से न्यूनतम […]

You May Like

Breaking News