एप्पल न्यूज, शिमला
सट्टा एप का भरपूर प्रचार किया जा रहा है । युवाओं के आदर्श जी तोड़ मेहनत कर रहें है ताकि हर घर का युवा, महिला ,बुजुर्ग सब सट्टा खेले ।
घर के चार सदस्य अपनी अपनी टीम लगाने ने व्यस्त हैं । दुकानदार, ढाबे, टेक्सी चालक टीचर बाबू कोई नही छूटा है । जो क्रिकेट पर नही है वो लूडो और ताश में है ।
मुझे हैरानी है कि लॉटरी को क्यों बंद किया गया था उसके पीछे के तर्क आज सब बेमतलब लगते है उसमें क्या दिक्कत थी ?
ये ऑनलाइन जुआ इस तरह पेश किया गया है कि खेलने वाले को लगता है कि वह कोई खेल विशेषज्ञ बन गया है जबकि कोई ये मानने को तैयार नही है की ये लत उन्हें दूसरे सट्टे एप की तरफ ले जा रही है ।
आज नशे से पूरा देश परेशान है यदि गौर से उसकी पहली सीढ़ी देखें तो वहां भी यही हुआ था हमारे आदर्श रहे क्रिकेटर फिल्मी हस्तियों ने शराब गुटका पान मसाला और बीड़ी सिगरेट को घर घर तक पहुचानें में कोई कसर नही छोड़ी थी । किसी भी काम के एक दम से रिजल्ट नही मिलते अच्छे हो या बुरे सो कुछ वर्षों बाद पूरा देश गुटका खैनी शराब सिगरेट से दूर रहने के जागरूकता कार्यक्रम में बैठा था ।
पहले लोगों को लत लगाएंगे फिर जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे । वही फिल्मी हस्तियां क्रिकेटर अफसोस जाहिर कर रहे थे नशे के आंकड़ों पर जिनका उसे फैलाने में भरपूर योगदान रहा था । दोनों तरफ पैसा ।
आज समय वही दोहरा रहा है पर हम खुद को समझदार समझतें है हमे लगता है हमे कोई लत नही लग सकती नशे करने वालो को भी यही लगता है कभी किसी पुनर्वास केंद्र में जा कर देखो और पूछो कोई भी नशे में फसा व्यक्ति ये नही कहता कि उसे लगता था वो नशे का आदी हो सकता है.
उसे हमेशा लगता था कि वो समझदार है एक दो बार कर के छोड़ देगा यही स्तिथि सट्टे की है पर कोई मानेगा नही क्योंकि हमें लगता है कि सब तो कर रहे हैं बुराई क्या है ।
देखते जाएं ये लत कहां तक ले जाएगी । दुख की बात ये है कि जो इस बात को समझते भी है वो चुप रहते है क्योंकि ट्रोलिंग के इस वर्चुअल वर्ल्ड में सब डरते है कि जब भीड़ एक तरफ हो तो क्यों अपनी ऐसी तैसी करवाई जाए ।बाद में अफोस ज़ाहिर कर देंगे ।
समस्या अभी है नही ये समस्या बनेगी और इतनी जटिल बनेगी की नशे से आगे जाएगी देखते रहिए और अपने सो कॉल्ड आदर्शों के पद चिन्हों पर चलते रहे जिनका अपना जमीर तो मर चुका है । सट्टा आप लगा रहें है कमा वो रहे हैं ।
लेखक- दीपक सुंद्रियाल, बेबाक कलम